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उत्तराखंड में सीएम (Uttrakhand CM Face) के चेहरे पर फैसला लेने के लिए पार्टी के नेताओं की दिल्ली दरबार में दौड़ जारी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक (Madan Kaushik), पार्टी संगठन मंत्री अजय कुमार मंगलवार को आलाकमान के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे। यहां उनकी बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात हुई। चूंकि सीएम धामी खुद चुनाव हार गए हैं, इसलिए असमंजस बरकरार है। चुनाव हारे हुए व्यक्ति के शीर्ष पद पर कैसे बैठाया जाए? इसलिए अजय भट, धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, अनिल बलूनी, रमेश पोखरियाल निशंक आदि के नाम विचार चल रहा है। पिछली बार भी अजय भट्ट का नाम आगे आया था, मगर आलाकमान ने कांग्रेस के रथ पर कुमाऊं में लगाम लगाने के लिए जहां अजय भट्ट को केंद्र में मंत्री बनाया, वहीं पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया। दोनों ही अपने दिए मिशन में खरे भी उतरे लेकिन धामी अपना स्वयं का चुनाव नहीं जीत पाए।
क्यों बदले जाएंगे धामी?
भूतकाल के अनुभव यह भी बताते हैं कि भले पार्टी ने चुनाव में किसी को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया हो लेकिन उस चेहरे की हार के बाद उसे मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी ने थोपा नहीं है। साल 2017 में पूरा चुनाव अजय भट्ट के चेहरे पर लड़ा गया तब भट्ट तो हार गये जबकि पार्टी प्रचंड बहुमत लेकर सत्ता में आ गई। लेकिन पार्टी ने मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र रावत को चुन लिया और हार चुके अजय भट्ट कुछ दिनों पार्टी अध्यक्ष ही बने रहे। लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया। तब भी कई विधायकों ने अजय भट्ट के लिए सीट छोड़ने की पेशकश की थी। दूसरा उदाहरण पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश का है जहाँ पार्टी ने प्रेम कुमार धूमल के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन धूमल चुनाव हारे तो उनके स्थान पर जयराम ठाकुर को पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया ।
क्यों अजय भट्ट का नाम?
उत्तराखंड में ठाकुर और ब्राह्मण जातियों का वर्चस्व रहा है। अजय भट्ट को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी एक ब्राह्मण चेहरे को आगे कर अपने ऊपर लग रहा यह दाग भी धो लेगी कि बीजेपी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित होने के बावजूद भी पार्टी ब्राह्मणों को कोई तवज्जो नहीं दे रही। योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बनने जा रहे हैं, पर ये भी उत्तराखंड से ही हैं। ऐसे में ब्राह्मणों की शिकायत इस बार पार्टी दूर कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय मंत्री भट की रिक्त होने वाली नैनीताल उधम सिंह नगर सीट पर धामी को लड़ाकर दिल्ली भेजे जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। अब तक का रिकार्ड देखा जाय तो चर्चाओं और सूत्रों के हवाले से मिली खबरों को बीजेपी हाईकमान हमेशा धता बताता रहा है। ऐसे में अचानक कोई नया चेहरा अगर हाईकमान लेकर आए तो प्रदेशवासियों को हैरानी नहीं होनी चाहिए।