उत्तराखंड केअंगद बिष्ट,जो डॉक्टर बनते-बनते फाइटर बन गए.10 दिसंबर मैट्रिक्स फाइट नाइट-7में एमएमए(MMA) मुकाबले के लिए रिंग में उतरेंगे.

Saurabh for NEWS EXPRESS INDIA

भारत में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (Mixed Marshal Arts) धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा रहा है. लेकिन अन्य खेलों की तरह इसमें करियर उतना सुरक्षित नहीं है और चोटिल होने का खतरा भी काफी ज्यादा है. इसके बावजूद उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के अंगद बिष्ट (Angad Bisht) इसी खेल में अपना मुकाम बनाने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं. वो 10 दिसंबर को होने वाली मैट्रिक्स फाइट नाइट-7 में पहली बार एमएमए(MMA) मुकाबले के लिए रिंग में उतरेंगे. हालांकि, वो बचपन में डॉक्टर बनने का ख्वाब देखते थे और यही चाहते थे कि बड़े होकर इसी क्षेत्र में लोगों की सेवा करें.

अंगद ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कहा, “मैं पहाड़ों से आता हूं और यहां के युवाओं के पास करियर के ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं. वो या तो सेना में जाते हैं, या होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेते हैं. लेकिन मैं पढ़ाई में अच्छा था. तो मेडिकल की पढ़ाई का सोचा. इसके लिए कोचिंग भी की. लेकिन इसी दौरान जिम और फिटनेस को लेकर रूचि बढ़ी और यहीं से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स फाइटर बनने की शुरुआत हुई.”

परिवार शुरू में इस खेल के खिलाफ था: अंगद
उन्होंने आगे कहा कि शुरू में मुझे नहीं पता था कि इस तरह की फाइट में आप पैसे भी कमा सकते हैं या करियर का यह भी एक विकल्प हो सकता है. जब पता चला तो इसे संजीदगी से लेना शुरू किया और इसके बाद दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली. हालांकि, इसके लिए परिवार को मनाना काफी मुश्किल रहा.

अंगद ने कहा कि जब मैंने शुरू में अपने परिवार को इसके बारे में बताया तो वो हैरान हो गए थे. क्योंकि पहाड़ों पर इस तरह के करियर के बारे में कोई सोच नहीं सकता. लेकिन धीरे-धीरे उन्हें मनाया और तब जाकर बतौर प्रोफेशन इस खेल को अपना पाया. जब इससे कमाई होने लगी तो परिवार ने भी बोलना कम कर दिया.

अंगद दो फाइट चैम्पियनशिप जीत चुके
अंगद अब तक फ्री स्टाइल फाइट में 3 प्रतियोगिताओं को जीत चुके हैं. अंगद ने 2018 में सुपर फाइट लीग और 2019 में ब्रेव कॉम्बेट फेडरेशन फाइट जीती है.

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