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काफी कम उम्र से बच्चों को घड़ी देखना सिखाया जाता है. बड़ी सुई और छोटी सुई का सबक यूं तो वो जल्द ही सीख जाते हैं लेकिन शायद उन्हें एक चीज नहीं बताई जाती जिसका जवाब बड़ों के पास भी नहीं होता है.
सवाल है कि आखिर घड़ी की सुई ऊपर से शुरू होकर दाईं ओर क्यों बढ़ती है और नीचे जाकर, बाएं तरफ घूमने के बाद फिर से दाईं ओर क्यों बढ़ जाती है. आसान शब्दों में कहें तो सुई दाएं से बाएं यानी क्लॉकवाइज दिशा में ही क्यों (Why Clocks Run in Clockwise Direction?) चलती है? वो एंटी क्लॉकवाइज (Why Clocks Doesn’t Move in Anti-Clockwise Direction?) क्यों नहीं घूमती?
यूं तो ये सवाल कई लोगों के मन में आया होगा पर बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिन्हें इसका ठीक-ठीक जवाब पता होगा. चलिए आपकी उत्सुकता को कम करते हुए आपको इसका जवाब बताते हैं. थ्रिलिस्ट वेबसाइट समेत कई अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार पुराने वक्त में ज्यादातर सभ्यताएं उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) में बसी थीं. तब उन्होंने समय नापने के लिए अनोखा तरीका ढूंढ निकाला था.
क्लॉकवाइज क्यों होती है घड़ी की चाल?
रिपोर्ट्स की मानें तो नॉर्दर्न हेमेस्फियर में रहने वाली इन सभ्यताओं ने जब एक डंडा (Sundial) जमीन पर गाड़ा और उसकी परछाई को फॉलो किया तो उन्होंने पाया कि वो क्लॉकवाइज दिशा में आगे बढ़ रही है. लंबे वक्त तक यही नियम चलता रहा और समय की चाल को क्लॉकवाइज ही माना गया मगर जब दक्षिण गोलार्द्ध में डंडा गाड़ा गया तो धूप की परछाई एंटी क्लॉकवाइज चलने लगी. इन दोनों जगहों पर समय की चाल में फेर बदल ना हो इसलिए पहले से शुरू हो चुकी क्लॉकवाइज चाल को ही घड़ी की सुई के चाल पर तय कर दिया गया.
धरती के रोटेशन का है सारा खेल
समय में ऐसा बदलाव नॉर्थ पोल और साउथ पोल की वजह से आता है. अगर कोई उत्तरी गोलार्द्ध के किसी देश जैसे मिस्र में सनडायल का इस्तेमाल करे तो उसकी परछाई क्लॉकवाइज ही घूमेगी लेकिन अगर आप ऐसा ही सनडायल साउथ अफ्रीका यानी दक्षिण गोलार्द्ध के किसी देश में लगाएं तो उसकी परछाई एंटीक्लॉकवाइज बनेगी. ये पूरा खेल धरती के रोटेशन के कारण होता है. दोनों पोल्स पर ये चाल अलग-अलग दिशा में घूमती नजर आती है.