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उत्तराखंड खूबसूरत पर्वत मालाओं से और खूबसूरत घाटियों से भरपूर है. उत्तराखंड के कई इलाके चाइना बॉर्डर के बहुत करीब है. यहां कई गांव मौजूद है. वहां पर खूबसूरत पहाड़ स्वच्छ वातावरण अपने आप में अलौकिक है. ऐसे ही जिला पिथौरागढ़ के चाइना बॉर्डर के करीब बसा “दर” गांव धीरे-धीरे दरक रहा है. हालात ये हैं कि गांव के 35 घर पूरी तरह टूट गए हैं. बिन बरसात गांव में लगातार लैंडस्लाइड जारी है. दर गांव 1974 से ही दरक रहा है. बावजूद इसके गांव को बचाने की कोई गंभीर कोशिश अभी तक नहीं हुई है. भू-वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ रोज पहले पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के निर्देश पर दारमा घाटी का सर्वेक्षण किया था. टीम लीडर प्रदीप कुमार ने बताया कि 35 परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना जरूरी है. गांव लगातार नीचे खिसक रहा है, जिससे ग्रामीणों को खतरा हो सकता है.
सर्वे टीम के लीडर प्रदीप कुमार कहते हैं कि सोबला-ढांकर को जोड़ने वाली रोड कटने से पहाड़ियां कमजोर हुई हैं. यही नहीं, भूमिगत जलस्रोत गांव के नीचे से रिस रहे हैं. रिसते जलस्रोत भी पहाड़ियों को लगातार कमजोर कर रहे हैं. नतीजा है कि गांव धीरे-धीरे खिसक रहा है. कुमार का ये भी कहना है कि दर गांव एक पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा है. गांव के नीचे कोई भी कठोर चट्टान नहीं है, जिसके कारण कमजोर मिट्टी लगातार दरक रही है.