Rajender Singh for news express India
आप देहरादून में रहते हैं और कुत्ते पालने का शौक है तो अपने पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन (dehradun pet dog registration) जरूर करा लें। ऐसा नहीं करने वालों से नगर निगम जुर्माना वसूलेगा। अगले हफ्ते से कुत्ता मालिकों पर जुर्माने की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए चार टीमें गठित कर दी गई हैं। कुत्तों के रजिस्ट्रेशन को लेकर नगर निगम बार-बार चेतावनी दे चुका है। इसके बावजूद दूनवासी अपने कुत्तों के रजिस्ट्रेशन को लेकर गंभीर नहीं हैं। यही नहीं जिन्होंने पिछले साल रजिस्ट्रेशन कराया था, वह भी नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे। पिछले साल नगर निगम में लगभग 4000 कुत्तों का पंजीकरण हुआ था। जिनमें से इस साल अभी तक केवल 800 कुत्तों का पंजीकरण नवीनीकरण कराया गया है। ऐसे में नगर निगम ने कुत्ता मालिकों पर जुर्माना लगाने का मन बना लिया है। इसके लिए टीमें भी गठित कर दी गई हैं। ये टीमें सुबह और शाम को शहर में घूम कर पालतू कुत्तों की तलाश करेंगी। रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर संबंधित मालिक से पांच सौ रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.
दूसरी बार पकड़े जाने पर 5000 रुपये का चालान होगा। जबकि तीसरी बार में मुकदमे की कार्रवाई की जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक शहर में पालतू कुत्तों की संख्या 30 हजार के आसपास है। अपने मालिकों के साथ सैर पर निकलते वक्त कुत्ते जगह-जगह गंदगी फैलाते हैं। दूसरे लोगों पर गुर्राते भी हैं। लगातार शिकायतें मिलने के बाद पिछले कुछ दिनों से नगर निगम पालतू कुत्तों के पंजीकरण को लेकर गंभीर हो गया है। रजिस्ट्रेशन को लेकर क्या प्रावधान है यह भी बताते हैं। पंजीकरण फॉर्म के साथ पशु चिकित्सक से रैबीज से बचाने को लगने वाले टीके के लगे होने का प्रमाण पत्र लाना होगा।
जीवाणुनाशक का प्रमाण पत्र भी साथ लाना होगा। पंजीकरण के लिए दो सौ रुपये शुल्क जमा होगा। पंजीकरण के बाद नगर निगम संबंधित व्यक्ति को उसके नाम और पते वाला टोकन देगा । पंजीकरण कराने पर कुत्ते के मालिक को सिर्फ 200 रुपये सालाना शुल्क देना पड़ता है, लेकिन ये मामूली शुल्क बचाने के चक्कर में लोग कुत्तों का पंजीकरण (dehradun pet dog registration) नहीं करा रहे।
आवारा कुत्तों का भी है आतंक
शहर के अस्पतालों में रोजाना कुत्तों के काटने के औसतन बीस से तीस मामले सामने आ रहे हैं। अकेले दून अस्पताल में ही औसतन 18 मामले रोजाना सामने आते हैं। हर तीन माह में एंटी रेबिज वैक्सीन की तीन हजार डोज मंगाई जाती है। अस्पताल में तो इस बीमारी के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं, पर बीमारी की ‘जड़Ó आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने में नगर निगम अभी तक विफल रहा है। हालांकि, आवारा कुत्तों से निजात दिलाने को चार साल पहले नगर निगम ने एबीसी ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल’ केंद्र केदारपुरम में शुरू किया था। निगम ये दावा कर रहा कि मौजूदा समय में तकरीबन 40 हजार कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है।
पंजीकरण के लिए प्रविधान
-पंजीकरण फार्म के साथ पशु चिकित्सक से रैबीज से बचाने को लगने वाले टीके के लगे होने का प्रमाण-पत्र लाना होगा।
-जीवाणुनाशक का प्रमाण पत्र भी साथ लाना होगा।
-पंजीकरण के बाद नगर निगम संबंधित व्यक्ति को उसके नाम और पते वाला एक टोकन देगा।
-पंजीकरण के लिए 200 रुपये शुल्क जमा होगा।
-पालतू कुत्ते के किसी को काटने पर नुकसान की प्रतिपूर्ति उसके मालिक को करनी पड़ेगी।
नगर निगम के वरिष्ठ नगर पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश तिवारी ने बताया कि नगर निगम ने पालतू कुत्तों के पंजीकरण न कराने वालों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इस वित्तीय वर्ष में 800 कुत्तों का पंजीकरण नवीनीकृत किया गया है। अगर अब भी लोग सजग नहीं हुए तो कार्रवाई निश्चित की जाएगी।