VS CHAUHAN KI REPORT
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की एक प्रतिमा को बलूचिस्तान प्रांत के दक्षिण पश्चिमी तट ग्वादर में एक विस्फोट के जरिए उड़ा दिया गया. स्थानीय मीडिया के हवाले से यह खबर दी गई है. डॉन न्यूज़ पेपर के अनुसार, शनिवार को हुए इस विस्फोट की जिम्मेदारी प्रतिबंधित संगठन बलूच लिबरेशन फ्रंट ने ली है. इस विस्फोट में मूर्ति को काफी नुकसान पहुंचा और वह पूरी तरह नष्ट हो गई.
यह प्रतिमा इस साल की शुरुआत में एक सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले क्षेत्र में बनाई गई थी. डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ आतंकवादियों ने प्रतिमा के नीचे एक विस्फोटक उपकरण लगाया और उसे उड़ा दिया. मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का कैद-ए-आजम भी कहा जाता है. वह एक मुस्लिम नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता थे, जिन्होंने पाकिस्तान की स्थापना की और पहले गवर्नर जनरल के तौर पर अपनी सेवा दी.
पिछले कई वर्षों में बलूचिस्तान में काफी हिंसा देखी जा रही है. बीबीसी उर्दू की खबर के अनुसार, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बलोच रिपब्लिकन आर्मी के प्रवक्ता बबगर बलोच ने ट्विटर पर विस्फोट की जिम्मेदारी ली है. बीबीसी उर्दू ने ग्वादर के उपायुक्त मेजर (सेवानिवृत्त) अब्दुल कबीर खान के हवाले से कहा कि मामले की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा कि विस्फोटक लगाकर जिन्ना की प्रतिमा को नष्ट करने वाले आतंकवादी पर्यटकों के रूप में क्षेत्र में घुसे थे. उनके मुताबिक अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन एक-दो दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम मामले को सभी कोणों से देख रहे हैं और जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा.’
बलूचिस्तान के पूर्व गृह मंत्री और मौजूदा सीनेटर सरफराज बुगती ने ट्वीट किया, ‘ग्वादर में कायद-ए-आजम की प्रतिमा को गिराना पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला है. मैं अधिकारियों से अपराधियों को उसी तरह से दंडित करने का अनुरोध करता हूं, जैसे हमने जियारत में कायद-ए-आजम निवास पर हमला करने वालों को किया था.
साल 2013 में, बलूच आतंकवादियों ने जियारत में 121 साल पुरानी इमारत में विस्फोट कर दिया था, जिसमें कभी जिन्ना रहा करते थे. बाद में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. तपेदिक से पीड़ित होने के बाद जिन्ना ने अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए थे. जिन्ना 1913 से लेकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की स्थापना तक ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता रहे. इसके बाद 1948 में निधन होने तक वह पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल रहे.