VS CHAUHAN KI REPORT
देश भर में अपने बयान से सुर्खियों में रहने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। उनका शव अल्लापुर में बाघम्बरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटका मिला। खबर मिलते ही पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।
फिलहाल फोरेंसिक टीम को घटनास्थल पर बुलाया गया । पता चला है कि शिष्यों ने दरवाजा तोड़कर शव को फंदे से उतारा। मौके पर सुसाइड नोट मिला . जिसमें शिष्य आनंद गिरि से प्रताड़ित होने की बात का जिक्र है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम से मौत की वजह साफ होगी। सुसाइट नोट की हैंड राइटिंग की भी जांच होगी। इस बीच हरिद्वार में महंत के विवादित शिष्य आनंद गिरि के अलावा दो अन्य शिष्यों आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को प्रयागराज में पुलिस ने हिरासत में लिया है। इन तीनों का नाम सुसाइड नोट में है।
पांच दिन से तनाव में थे और ज्यादा झुंझलाने लगे थे महंत
पुलिस को शिष्यों से बातचीत में पता चला कि पिछले पांच दिन से महंत नरेंद्र गिरि खासे तनाव और चिंता में दिख रहे थे। वह बात-बात पर झुंझलाने भी लगे थे। इस बीच जांच में जुटी पुलिस ने मठ बाघम्बरी गद्दी के मुख्य गेट और भीतर लगे अलग अलग सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच और शिष्यों से पूछताछ शुरू की ।
हरिद्वार में आनंद गिरि ने कहा, हत्या की गई है, होनी चाहिए जांच
आइजी जोन ने बताया कि सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है कि वह सम्मान से जीवन जीते रहे लेकिन अब अपमानित होकर जीना पड़ रहा है। सुसाइड नोट में शिष्य से दुखी होने की बात है।
महंत से विवाद के बाद सुर्खियों में आए शिष्य आनंद गिरि ने इस घटना को कत्ल करार दिया है और कहा कि यह बड़ी साजिश है। उन्हें प्रताडित कर मरने के लिए मजबूर किया गया. और उन्हें मेरा नाम सुसाइड नोट में लिखने के लिए मजबूर किया गया। मैंने तो माफी मांग ली थी और गुरू जी ने माफ भी कर दिया था। इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मैंने खुद और गुरू जी की हत्या की आशंका जाहिर की थी। आनंद गिरि ने पुलिस के एक बड़े अधिकारी और एक भू- माफिया को इस साजिश के पीछे बताते हुए जांच कराने की बात कही।
महंत की मौत की खबर फैलने पर शहर भर से उनके भक्त मठ पर जुट गए। पुलिस को भीड़ को संभालने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत स्वामी नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य चर्चित योग गुरू आनंद गिरि के बीच पिछले दिनों विवाद सुर्खियों में रहा। आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद तथा मठ बाघम्बरी गद्दी के पदाधिकारी के पद से निष्कासित कर दिया गया था। तब दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी किए थे। तमाम साधु संत ने महंत नरेंद्र गिरि का समर्थन किया था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि आनंद गिरि माफी मांगे तब उनके बारे में कुछ सोचा जा सकता है। बाद में आनंद गिरि ने माफी मांग ली थी।
अखाड़े की परंपरा तोड़ने के चलते बाहर किए गए थे आनंद गिरि
दरअसल आनंद गिरि को हरिद्वार में संन्यास परंपरा के तोड़ने की वजह से पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की कार्यकारिणी ने निकाल दिया था। तब खुद महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि आनंद गिरि ने नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार कुम्भ में अपने पूरे परिवार को बुलाया था। जबकि अखाड़े की परंपरा के अनुसार परिवार से सम्बंध नहीं रखा जा सकता है। एक माह पहले दी गई चेतावनी के बाद भी जब ये नहीं माने तो महंत ने पहले बाघम्बरी मठ से हटाया उसके बाद शुक्रवार को अखाड़े से निष्कासन की कार्रवाई की गई थी।
निकाले जाने के बाद आनंद गिरि ने गुरु नरेंद्र गिरि के खिलाफ खोला था मोर्चा
निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद स्वामी आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बकायदा पत्र लिखकर भेज था।आनंद गिरि ने भेजे गए पत्र में नरेंद्र गिरि के पर अरबों रुपये की जमीनें बेचने सहित कई गंभीर आरोप लगाए थे। पत्र में उन्होंने लिखा था कि गुरुजी के आचरण और महंगे शाैक का ही नतीजा है कि मठ और अखाड़ा बर्बादी की ओर अग्रसर हो गया है। आनंद गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा था।
आनंद गिरि ने पैर पकड़कर मांगी थी महंत नरेंद्र गिरि से माफी
इसके बाद 26 मई को एक वीडियो जारी किया गया जिसमें बकायदा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद को सुलझा हुआ बताया गया। गुरु और शिष्य में सुलह होने की बात भी कही गई। वीडियो में आनंद गिरि ने अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी के पैर पकड़कर माफी भी मांगी थी। माफी मांगने और सुलह के बाद महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद के श्री मठ बाघम्बरी गद्दी और प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर में आने पर पाबंदी हटाई हटा दी थी। वहीं महंत नरेंद्र गिरी ने भी शिष्य आनंद गिरी पर लगाए आरोपों को भी वापस ले लिया था।
महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु संतों के बीच अहम स्थान रखते थे। प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद सहित अन्य मंत्री और सांसद तथा विधायक मंदिर और बाघम्बरी मठ पहुंचते रहे हैं। रविवार को भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मंदिर जाकर महंत से आशीर्वाद लिया था। पिछले दिनों डीजीपी मुकुल गोयल भी मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे।