युवा भारतीय पहलवान रवि दहिया ने टोक्यो ओलिंपिक में हारी हुई बाजी जीतकर फाइनल का टिकट कटा लिया। हरियाणा के रवि अब स्वर्ण के लिए गुरुवार को मौजूदा विश्व चैंपियन रूस के जावुर युगुएव से भिड़ेंगे

VS CHAUHAN KI REPORT

युवा भारतीय पहलवान रवि दहिया ने टोक्यो ओलिंपिक में हारी हुई बाजी जीतकर फाइनल का टिकट कटा लिया। उन्होंने आखिरी मिनट में पिन फाल मारकर 57 किग्रा फ्री स्टाइल के सेमीफाइनल में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सानायेव को हरा दिया। हरियाणा के रवि अब स्वर्ण के लिए गुरुवार को मौजूदा विश्व चैंपियन रूस के जावुर युगुएव से भिड़ेंगे जिनसे वह 2019 विश्व चैंपियनशिप सेमीफाइनल में हार गए थे।

पिन फाल ने दिलाई जीत

सेमीफाइनल में दहिया के पास पहले दौर के बाद 2-1 की बढ़त थी, लेकिन सानायेव ने उनके बायें पैर पर हमला बोलकर तीन बार उन्हें पलटने पर मजबूर करते हुए छह अंक ले लिए। फिर एक समय दहिया 2-9 से पीछे हो गए और ऐसा लग रहा था कि दहिया हार की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन भारतीय पहलवान ने संयम नहीं खोते हुए वापसी की और एक मिनट में बाजी पलट दी। उन्होंने विरोधी पहलवान के दोनों पैरों पर हमला किया और उसे कसकर पकड़ लिया। इसके बाद उसे जमीन पर पटखनी देकर पिन फाल से मुकाबला जीत लिया। इसमें अगर कोई पहलवान विरोधी के दोनों कंधे जमीन पर लगा दे तो मैच वहीं खत्म हो जाता है। दहिया ने इससे पहले दोनों मुकाबले तकनीकी दक्षता के के आधार पर जीते थे। उन्होंने पहले दौर में कोलंबिया के टिगरेरोस उरबानो आस्कर एडवर्डो को 13-2 से हराने के बाद बुल्गारिया के जार्जी वेलेंटिनोव वेंगेलोव को 14-4 से हराया।

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने ट्ववीट करते हुए सानायेव को लूजर बताया और कहा, “यह कितना अनुचित है, हमारे रवि दहिया की आत्मा पर चोट नहीं कर सकता, इसलिए उसका हाथ काट दिया। शर्मनाक कज़ाख लूजर नूरिस्लाम सानायेव। गजब रवि, बहुत सीना चौड़ा किया आपने रेसलिंग में।”

गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान सुशील ने रवि कुमार दहिया के बारे में पहले ही बताया  था कि यह लड़का जूनियर लेवल पर जीतकर आया है. ‘यह लड़का मुझसे भी आगे जा सकता है.’ आज वो लड़का ओलिंपिक फाइनलिस्ट है. रवि दहिया, जो उस साल जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतकर आए थे, अब ओलिंपिक गोल्ड से सिर्फ एक कदम दूर हैं. भले ही आज सुशील कुमार जेल में हैं और उन पर तमाम आरोप हैं. हीरो से विलेन की तमाम कहानियां उनके बारे में कही, सुनी, पढ़ी और लिखी जा रही हैं. लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि अगर सिर्फ खेल और बाहरी दुनिया को अलग रखें तो सुशील से बड़े खिलाड़ी इस देश ने बहुत कम ही देखे हैं. दो बार ओलिंपिक मेडलिस्ट रहे सुशील के अनुशासन की कहानियां कही, सुनी जाती रही हैं.

वह सुशील का 2008 में ओलिंपिक पदक ही था, जिसने रवि को प्रेरित किया था. रवि उसी तरह के परिवार से आते हैं, जैसे परिवार की कहानी लगभग हर पहलवान की है. हरियाणा के नाहरी से निकले. दिल्ली आए, प्रैक्टिस शुरू की. उसके बाद चोटिल होने की वजह से एक साल बाहर रहे. लेकिन उसके बाद वापसी करते हुए अब ओलिंपिक के फाइनल तक पहुंचे हैं. यकीनन यह उनकी प्रतिभा और मेहनत का कमाल है. लेकिन उस परख की भी दाद देनी पड़ेगी, जो सुशील ने करीब छह साल पहले की थी.

सुशील के पास ओलिंपिक के दो मेडल हैं. एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज. भारत ने अब तक व्यक्तिगत स्पर्धा में महज एक गोल्ड जीता है, जो अभिनव बिंद्रा के नाम है.फाइनल में अगर रवि भैया जीत हैं तो, रवि दूसरे गोल्ड मेडलिस्ट बन पाएंगे.

 

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