VS chauhan KI REPORT
रेल यात्रा में हमेशा इस बात की टेंशन होती है कि कंफर्म टिकट नहीं मिल रही. कंफर्म टिकट मिल जाए तो सफर सुखद होने के साथ सुकूनभरा होता है. लेकिन ऐसी संभावना कम होती है कि टिकट काउंटर पर जब जाएं, फटाफट आपको कंफर्म टिकट ही मिल जाए. मजबूरी में लोग वेटिंग टिकट लेकर रिजर्वेशन काउंटर से चल देते हैं. इस उम्मीद में कि कंफर्म हो जाएगा. कम से कम आरएसी तो मिलना ही चाहिए ताकि बैठ कर भी यात्रा पूरी की जा सके. लेकिन क्या आपको पता है कि रिजर्वेशन में कंफर्म और वेटिंग का एक फंडा होता है जिसे समझ लें तो कंफर्म टिकट की गुंजाइश बेहद बढ़ जाती है.
आपने कभी गौर किया होगा कि जब टिकट बुक कराते हैं तो उस स्टेशन से वेटिंग दिखता है, लेकिन कुछ दूरी पहले से ट्रेन में कंफर्म सीट दिखती है. यहां तक कि आपके स्टेशन से तीन-चार स्टेशन बाद भी कभी-कभी कंफर्म दिखाता है. वही ट्रेन और वही स्टेशन लेकिन कहीं से कंफर्म तो कहीं से वेटिंग, ऐसा क्यों होता है? इसका जवाब है कि यह सबकुछ कंप्यूटर के दिमाग से तय होता है. यानि कंप्यूटर के एल्गोरिदम से तय होता है कि कहां से कंफर्म है तो टिकट कहां से वेटिंग में जाएगी. मामला पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित होता है, इसलिए आम आदमी को कंफर्म और वेटिंग का फंडा समझने में दिक्कत आती है.
कितनी सीटें होती हैं खाली
इसे समझने के लिए पहले जानना होगा कि अगर किसी ट्रेन में कुल 1000 सीट है तो उसमें सभी सीटें आम लोगों के लिए नहीं होतीं. कई सीटें अलग-अलग कोटे के तहत बुक हो जाती हैं. जैसे लेडिज कोटा, सीनियर सिटीजन कोटा, एचओ कोटा, वीआईपी कोटा आदि. इसके बाद आरएसी और तत्काल का नंबर आता है, जिसमें कई सीटें बुक हो जाती हैं. एक अनुमान के मुताबिक ट्रेन में 1000 सीट में से 480 सीटें ही आम लोगों के लिए खाली बचती हैं. इसके बाद हर ट्रेन में उसके स्टेशन के मुताबिक कुछ कोटा होता है. अगर कोई ट्रेन बरौनी से दिल्ली के लिए चलती है तो हाजीपुर, गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर जैसे बड़े स्टेशनों का कोटा होगा. इस कोटे के तहत अधिकांश सीटें बुक हो जाती हैं. यहां आम लोगों के लिए खाली 480 में से लगभग 80 सीटें स्टेशनों के कोटे में चली जाती हैं. इस हिसाब से खाली 400 सीटें ही बचती हैं.
आम लोगों के लिए बस 400 सीट
अगर 400 सीटों पर रिजर्वेशन कराएं तो कंफर्म टिकट मिलेगी, लेकिन 401 वाले को वेटिंग टिकट मिलेगी. आम आदमी ये समझ नहीं सकता कि 400 में उसका नंबर है या 400 के पार. मान लीजिए किसी व्यक्ति ने बरौनी से नई दिल्ली के लिए टिकट बुक कराया तो उसे 401 नंबर पर जनरल कोटे से वेटिंग टिकट मिलेगी. इसे GNWL कहते हैं. इसका फंडा है कि कोई व्यक्ति सोर्स यानी कि शुरुआती स्टेशन से अंतिम स्टेशन या डेस्टिनेशन की टिकट लेता है तो उसे जीएनडब्ल्यूएल कोटे से वेटिंग मिलेगा. अब अगर कोई व्यक्ति सोर्स और डेस्टिनेशन के बीच किसी स्टेशन से टिकट बुक करता है, तो उसे पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट में टिकट मिलेगी. कोई यात्री बरौनी से लखनऊ तक या कोई यात्री गोरखपुर से नई दिल्ली का टिकट ले तो उसे पूल्ड कोटा मिलेगा.
कैसे रिजर्व कराएं टिकट
अगर कोई व्यक्ति न तो शुरुआती स्टेशन से सफर शुरू करना चाहता है, और न ही वह गंतव्य या अंतिम स्टेशन तक की यात्रा करना चाहता है. ऐसे लोग सोर्स और डेस्टिनेशन के बीच चढ़ते और उतर जाते हैं. इन लोगों को रिमोट कोटा वेटिंग लिस्ट से टिकट मिलेगी. अब कंफर्म टिकट के लिए हमें इसी क्रम का ध्यान रखना है. पहले नंबर पर जनरल वेटिंग, दूसरे नंबर पर पूल्ट कोटा और तीसरे नंबर पर रिमोट कोटे का स्थान आता है. जब टिकट के कंफर्म होने की बारी आती है तो इसी क्रम से रिजर्वेशन कंफर्म होता है. पहले जनरल कोटे की टिकट कंफर्म होगी.
बरौनी-नई दिल्ली का मामला समझें
इसे ऐसे समझें कि अगर कोई बरौनी से नई दिल्ली का वेटिंग टिकट ले रहा है, उसे सबसे पहले कंफर्मेशन मिलेगा. दूसरे नंबर पर अगर कोई शुरू स्टेशन से बीच में या बीच के किसी स्टेशन से अंत स्टेशन की टिकट लेता है, तो दूसरे नंबर पर वही टिकट कंफर्म होगी. तीसरे नंबर पर शुरुआती और अंतिम स्टेशन के बीच की टिकट लेने पर कंफर्मेशन की बारी आती है. यहां ध्यान रखें कि रिमोट वेटिंग जल्द कंफर्म नहीं होता. यह तभी कंफर्म होता है जब कोई व्यक्ति टिकट कैंसिल करता है. बीच के छोटे स्टेशन से जब भी टिकट लेते हैं तो वह वेटिंग मिलती है क्योंकि छोटे स्टेशन का कोई कोटा नहीं होता. वहीं पीछे या आगे के किसी बड़े स्टेशन से टिकट लें तो वह कंफर्म मिलती है.
ऐसे ले पाएंगे कंफर्म टिकट
इसे देखते हुए अगर आपको कंफर्म टिकट चाहिए या जनरल वेटिंग को आगे चलकर कंफर्म होने की गुंजाइश चाहते हैं, तो अपने छोटे स्टेशन से आगे या पीछे के किसी बड़े स्टेशन से टिकट बुक कराएं. हो सकता है कि कंफर्म मिल जाए. अगर जनरल वेटिंग में टिकट मिलती है तो उसके कंफर्म होने के चांस सबसे ज्यादा होंगे. जनरल वेटिंग सबसे पहले और अधिकांश स्थितियों में कंफर्म हो जाता है. इसमें पैसा थोड़ा ज्यादा लग सकता है, लेकिन आपकी टिकट कंफर्म होगी. हो सकता है आपको दिल्ली तक न जाना हो और सफर कानपुर तक ही हो. लेकिन दिल्ली तक की टिकट लेंगे तो जरूर कंफर्म मिलेगा.