Mukesh Kumar ki report
पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि जब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं नहीं हो रही हैं, तो बोर्ड को परीक्षा फाॅर्म भरने वाले सभी विद्यार्थियों को फीस लौटानी चाहिए। सोमवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि इस बार करीब 20 लाख विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा के लिए फाॅर्म भरे थे, जिनसे बोर्ड को करीब 130 करोड़ रुपए मिले। चूंकि अब सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं निरस्त कर दी हैं, तो बोर्ड को सभी विद्यार्थियों को फीस लौटाने का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए।
उन्होंने कहा, वैसे भी शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा कह चुके हैं कि जब पढ़ाई नहीं हुई, तो फीस कैसी। देवनानी ने कहा कि ठीक इसी तरह जब परीक्षाएं नहीं हो रही हैं, तो फीस किस बात की। इसलिए डोटासरा को फीस लौटाने के लिए पहल करनी चाहिए। देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के दौरान काम-धंधे ठप होने के कारण आर्थिक परेशानी झेलने के बावजूद अभिभावकों ने जैसे-तैसे पैसों का बंदोबस्त कर फीस जमा कराई थी।
अव्वल, तो बोर्ड को सरकार से मशविरा करने के बाद परीक्षा फाॅर्म भरवाने चाहिए थे, ताकि अभिभावकों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता और विद्यार्थियों को भी आनलाइन परीक्षा फाॅर्म भरने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। बोर्ड प्रशासन को शायद परीक्षाएं निरस्त होने का आभास पहले से था, इसके बावजूद उसने फाॅर्म भरवाए। उन्होंने कहा कि चूंकि अभिभावकों ने बहुत मुसीबत से फीस भरी थी, लेकिन बोर्ड को अब जल्द से जल्द फीस लौटाकर उन्हें राहत देनी चाहिए। यदि बोर्ड फीस नहीं लौटाता है, तो यह लाखों अभिभावकों और विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा।
अनेक बार में भी पास नहीं होने वाले स्वयं पाठी परीक्षार्थी हुए खुश
कोरोना काल में सभी परीक्षार्थियों को प्रमोट करने के कारण वे तमाम स्वयं पाठी परीक्षार्थी भी उत्तीर्ण घोषित माने जा रहे हैं जो विगत कई बार से परीक्षा में बैठने के बाद भी पास नहीं हो पा रहे थे। जोर दार बात यह होगी कि अब ये भी परीक्षार्थी 10 वीं और 12 पास होने के कारण सेना, पुलिस सहित अनेक सरकारी नौकरियों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनने के काबिल माने जाएंगे।