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देवभूमि उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इसी वजह से उत्तराखंड देश का सबसे खराब लिंगानुपात वाला राज्य बन गया है. कुछ दिनों पहले नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्यों के आंकड़ों को जारी किया था, जिससे पता चला था कि उत्तराखंड का बाल लिंगानुपात देश में सबसे खराब है और राज्य में हर साल लगातार गिरावट आ रही है. जानकारी के मुताबिक साल 2005 से 2006 में किए गए तीसरे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चला कि जन्म के समय उत्तराखंड का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुष के जन्म पर 912 महिलाओं का था, जो उस समय के राष्ट्रीय औसत से कम था. वहीं एक दशक के बाद 2015-16 में उत्तराखंड में जन्म के समय लिंगानुपात एनएचएफएस 4 के मुताबिक गिरकर 888 हो गया. उस दौरान एसडीजी सर्वेक्षणों के मुताबिक 2018 में अनुपात गिरकर 850 और उसके बाद अगले साल 841 हो गया था. वहीं इस बार साल 2021 में ये अनुपात 840 है, जिसकी वजह से उत्तराखंड सबसे खराब लिंगानुपात वाला राज्य बन गया है.
जानकारी के मुताबिक देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां पहले लिंगानुपात कम था लेकिन अब उन्होंने सुधार किया है. पंजाब और हरियाणा में साल 2005 से 2006 के दौरान जन्म के समय लिंगानुपात 734 और 762 था, लेकिन 2015-16 में सुधार के साथ ये बढ़कर 860 और 836 हो गया. वहीं 2021 में पंजाब की स्थिति में सुधार हुआ है, जन्म के समय इसका लिंगानुपात अब 890 है. जबकि हरियाणा का घटकर 843 हो गया है.
केरल बना सबसे अच्छा राज्य
वर्तमान एसडीजी सर्वेक्षण के मुताबिक केरल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बन रहा है, राज्य में 2021 में प्रति 1,000 पुरुषों पर 957 महिलाओं का जन्म हुआ है, जो 950 की आदर्श दर से बेहतर है. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उत्तराखंड की घटती संख्या को चिंता का विषय बताया है.