VSCHAUHAN ki report
वर्तमान में भले ही कंक्रीट का जंगल दून की पहचान बन गया हो, लेकिन दो-ढाई दशक पूर्व ऐसा नहीं था। चारों तरफ हरियाली थी और बासमती की खुशबू फैली रहती थी।
जो नहरें बासमती के खेतों, लीची व आम के बागों और साग-सब्जी की पैदावार को प्रोत्साहित करती थीं, और तन-मन को सुकून का अहसास भी कराती थी, वही नहरें आज गुम हो चुकी हैं।
वर्ष 2000 में दून के अस्थायी राजधानी बनने के बाद यहां एक के बाद एक नहरों को भूमिगत कर उन पर सड़कों का जाल बिछा दिया गया। अब यह नहरें कहां हैं, कैसी हालत में हैं किसी को नहीं पता।
दून की प्रमुख नहरें
राजपुर नहर- यह दून की सबसे पुरानी नहर मानी जाती थी। इस नहर को मसूरी स्थित रिस्पना नदी के उद्गम स्थल से पानी मिलता था। यह नहर मुख्यत: पीने का पानी मुहैया कराती थी, लेकिन बाद में जरूरी सुधार के बाद यह कुछ गांवों में सिंचाई के उपयोग में आने लगी। 36 किमी लंबी इस नहर से राजपुर, देहरादून, धर्मपुर, कारगी ग्रांट, अजबपुर कलां, अजबपुर खुर्द व बंजारावाला को पानी उपलब्ध करवाया जाता था।
बीजापुर नहर- 1841 में बीजापुर कैनाल नाम से बनी 47 किमी लंबी इस नहर के जरिये बीजापुर, कौलागढ़, बनियावाला, शुक्लापुर, अंबीवाला, रांगड़वाला, आर्केडिया ग्रांट, मोहनपुर ग्रांट आदि क्षेत्रों को पानी उपलब्ध होता था। गढ़ीचौक पर यह नहर दो हिस्सों में बंटकर कौलागढ़ नहर व कांवली नहर नाम से जानी जाती थी। कौलागढ़ से निकलने वाली नहर प्रेमनगर टी-स्टेट तक जाती थी तो कांवली नहर शिमला बाईपास के पीछे खेतों में निकलती थी।
खलंगा नहर- सौंग नदी से शुरू होने वाली खलंगा नहर है। 100 किमी लंबी यह नहर मालदेवता से शुरू होकर केशरवाला, किद्दूवाला और रायपुर क्षेत्र में खेती के लिए पानी मुहैया कराती थी। रायपुर से आगे चलकर यह नहर रायपुर नहर कहलाती थी। वहां यह कई हिस्सों में बंट जाती थी। यह एक अंडरग्राउंड नहर थी, जो मालदेवता में देखी जा सकती है।
जाखन नहर- 1863 में बनाई गई 31 किमी लंबी यह नहर जाखन नदी के पानी को जाखन व रानी पोखरी के क्षेत्रों तक पहुंचाती थी।
कटापत्थर नहर- 1840 में इस नहर का निर्माण शुरू हुआ, जो 1854 में बनकर तैयार हुई। 26 किमी लंबी इस नहर से कटापत्थर, पिरथीपुर, लाखनवाला, फतेहपुर, तेलपुरा, ढकरानी आदि क्षेत्रों को पानी उपलब्ध करवाया जाता था।
धर्मपुर नहर- रिस्पना नदी से निकलने वाली इस नहर को ईस्ट कैनाल नाम से भी जाना जाता है। यह बारीघाट, दर्शनलाल चौक, नैनी बेकरी, बंगाली कोठी से आगे आकर खेतों में मिल जाती थी। इसी नहर से एक छोटी नहर धर्मपुर में बदरीपुर नहर से कटने वाली छोटी नहर से मिल जाती थी। यह राजपुर फीडर कहलाती थी। यहां से यह रेसकोर्स, चंद्रनगर होते हुए हरिद्वार रोड पहुंचकर कारगी नहर कहलाती थी और बंजारावाला के खेतों तक मिलती थी।