ये तो हम सभी जानते हैं कि मां का दूध बच्चों के लिए अमृत से कम नहीं होता है। यह शिशु को पोषण देता है और उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। मां के दूध में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कि नवजात शिशुओं को कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। बता दें कि मां का दूध शिशुओं के लिए संपूर्ण आहार होता है।नवजात शिशु शुरुआती एक साल तक मां के दूध के अलावा दूसरी चीजों को पचा नहीं पाता, उसका पाचन तंत्र कमजोर होता है। ऐसे में मां का दूध ही उसके लिए सबसे ज्यादा सुपाच्य होता है। इतना ही नहीं अभी तक इसके लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं ढूंढा गया था। हालांकि, आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब नवजात शिशुओं के लिए ब्रेस्ट मिल्क को साइंस लैब में तैयार करने का तरीका ईजाद कर लिया गया है।
दरअसल, इस्राइल में बायोमिल्क नामक एक स्टार्ट-अप कंपनी ने महिलाओं की स्तन कोशिकाओं से दूध को तैयार करने में कामयाबी पाई है। कंपनी का दावा है कि लैब में तैयार किए गए इस दूध में काफी हद तक वे सभी पौष्टिक तत्व हैं, जो आमतौर पर मां के दूध में पाए जाते हैं।
हालांकि, दोनों ही दूध में केवल एक अंतर एंटीबॉडीज का है। बायोमिल्क कंपनी के को-फाउंडर और चीफ साइंस ऑफिसर डॉक्टर लीला स्ट्रिकलैंड ने फोर्ब्स के साथ हुई बातचीत में कहा कि हमारे लैब में तैयार किए गए दूध का न्यूट्रिशिनल और बायोएक्टिव कंपोजिशन किसी भी और प्रॉडक्ट के मुकाबले ज्यादा है और ये मां के दूध से सबसे ज्यादा मिलता-जुलता है।
वरिष्ठ सेल बायोलॉजिस्ट डॉक्टर स्ट्रिकलैंड ने खुद अपने अनुभव के बाद मां के दूध के विकल्प पर काम करना शुरू किया था। दरअसल, उनका बेटा प्रीमेच्योर पैदा हुआ था और इसके वजह से वे उसे ब्रेस्ट मिल्क भी मुहैया नहीं करा पा रही थीं। ऐसे में उन्होंने साल 2013 में एक लैब में स्तन कोशिकाओं को तैयार करना शुरू किया था।
साल 2019 में डॉक्टर स्ट्रिकलैंड ने खाद्य वैज्ञानिक मिशेल एगर के साथ मिलकर एक स्टार्टअप की शुरुआत की। इस कंपनी का मकसद ब्रेस्टफीडिंग को खत्म करना नहीं है बल्कि अपने प्रॉडक्ट के मदद से महिलाओं को विकल्प मुहैया कराना है।