भारतीय रेल विश्व का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। परिवहन की यह सुविधा यातायात के सबसे सुगम साधनों में से एक है। हर रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं। बता दें कि भारत में करीब 8,000 रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से कुछ स्टेशन इतने डरावने हैं कि शाम होते ही बिल्कुल सन्नाटा पसर जाता है। कुछ लोग इन स्टेशनों को भूतिया भी मानते हैं।
नैनी जंक्शन
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित नैनी जंक्शन को भी लोग भूतिया मानते हैं। इस रेलवे स्टेशन के नजदीक में ही नैनी जेल है। देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले कई स्वतंत्रता सेनानी नैनी जेल में बंद थे। जेल में बंद लोगों को कई तरह के यातनाओं का सामना करना पड़ता था। यातनाओं की वजह से ही जेल में बंद कई लोगों की मौत हो गई। लोगों का मानना है कि नैनी जंक्शन पर स्वतंत्रता सेनानियों की आत्माएं घूमती हैं।
चित्तूर रेलवे स्टेशन
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित चित्तूर रेलवे स्टेशन भी डरावने रेलवे स्टेशनों में से एक है। स्टेशन के आसपास रहने वाले लोगों का मानना है कि बहुत समय पहले यहां हरी सिंह नामक एक सीआरपीएफ जवान ट्रेन से उतरा था। ट्रेन से उतरने के बाद आरपीएफ और टीटीई ने मिलकर इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से ही हरी सिंह की आत्मा इंसाफ के लिए रेलवे स्टेशन पर ही भटकती रहती है।
मुलुंड रेलवे स्टेशन
मुंबई में स्थित मुलुंड रेलवे स्टेशन की गिनती भी भूतिया रेलवे स्टेशनों में होती है। इस स्टेशन पर आने वाले यात्रियों और आस-पास रहने वाले लोगों का दावा है कि उन्हें यहां लोगों के चीखने-चिल्लाने के साथ-साथ रोने की भी आवाजें सुनाई देती हैं।
बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित इस रेलवे स्टेशन की कहानी काफी रोचक है। भूतिया दावों की वजह से इस स्टेशन को 42 सालों तक बंद रखा गया था। हालांकि, साल 2009 में इसे फिर से खोल दिया गया।
बड़ोग रेलवे स्टेशन
बड़ोग रेलवे स्टेशन हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है। कालका-शिमला रेल रूट पर पड़ने वाला ये स्टेशन जितना खूबसूरत है, ठीक उतना ही डरावना और भूतिया है। बड़ोग रेलवे स्टेशन ठीक बगल में एक सुरंग है। इस सुरंग का निर्माण एक ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बड़ोग ने कराया था, लेकिन बाद में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। लोगों का मानना है कि कर्नल बड़ोग की आत्मा इस सुरंग में घूमती-फिरती है।
यह लेख समाज के लोगों द्वारा सुनी हुई बातों और कहानियों पर आधारित इसका हम पूर्ण रूप से दावा नहीं करते.