वीएस चौहान की रिपोर्ट
‘एक पल में पूरी जिंदगी बदलने की ताकत है’ एक पल बदलते ही वह मंजर बदल जाता है कहने को यह वाक्य सिर्फ दार्शनिक लगता है, लेकिन है यह 100 फीसद सच। देश के लिए ओलंपिक में 2 बार मेडल जितने वाले नामी पहलवान सुशील कुमार के बारे में यह बात तो कही ही जा सकती है। एक पल ने उनकी जिंदगी ऐसी बदली कि देश ने उन्हें सिर पर उठा लिया और उसे एक पल की वजह से सुशील कुमार आज जेल की सलाखों के पीछे हैं। दरअसल, ओलंपियन सुशील कुमार पर जूनियर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या का आरोप लगा है वह मुख्य आरोपित भी है। हत्यारोपित बनाए गए सुशील कुमार की जिंदगी कई मोड़ लेती हुई यहां तक पहुंची है। खासकर उनकी लव स्टोरी और लव मैरिज किसी फिल्मी कहानी सी है।
गुरु की बेटी को ही दे बैठे दिल सुशील कुमार
ग्रामीण परिवेश और संस्कार की वजह से सुशील कुमार बचपन से ही बेहद शर्मीला था। कुश्ती-पहलवानी के इतर सुशील को बेहद कम समय मिलता था। सुशील कुमार ने अपने गुरु पद्म भूषण, द्रोणाचार्य और अर्जुन पुरस्कार विजेता महाबली सतपाल की बेटी सावी से ही शादी की है। करीबियों की मानें तो सुशील और सावी की लवस्टोरी बेहद मासूम थी। दोस्तों का कहना है कि सुशील सतपाल की बेटी सावी को जानते थे। उनकी तस्वीरें भी कई बार देखी, लेकिन सावी को शादी तय होने से पहले नहीं देखा था। दरअसल, सुशील ने पहली बार अपने गुरु की बेटी सावी को सगाई के दिन ही देखा था। साथी तो यहां तक कहते हैं कि सुशील कुमार स्वभाव से इतने शर्मीले हैं कि वह सगाई-शादी से पहले वह सावी को ‘I LOVE YOU’ तक नहीं बोल पाए। यह अलग बात है कि वह गुरु की बेटी सावी को काफी समय से चाहते थे और इस चाहत को भापते हुए महाबली सतपाल ने दोनों के रिश्ते को मंजूरी दी और शादी करवाई।
दोस्तों का कहना है कि ओलंपियन सुशील कुमार कुश्ती-पहलवानी के दौरान जितने फुर्तीले नजर आते हैं, इसके ठीक उलट निजी जिंदगी में काफी शर्मीले स्वभाव के हैं। सुशील ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि जब सगाई के दौरान उन्होंने अपनी होने वाली पत्नी सावी को पहली बार देखा था तो वे समझ गए थे कि दोनों की अच्छी जमेगी। बता दें कि सावी भी हेल्दी हैं। बता दें कि दिल्ली में आयोजित 2010 नवंबर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के कुछ समय बाद सुशील-सावी की सगाई दिल्ली में हुई थी। वहीं, सगाई के कुछ दिन ही सुशील ने पहली बार सावी को देखा था। फिर इसके बाद साल 2011 फरवरी में दोनों की शादी कर ली थी।
सुशील कुमार का जन्म 26 मई, 1983 को राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ के पास बारपोला गांव में हुआ। परिजनों की मानें तो बेहद फुर्तीले सुशील ने स्कूल में पढ़ने के दौरान 14 साल की उम्र से ही पहलवानी में हाथ आजमाने शुरू कर दिए थे।
एक नजर में सुशील कुमार
सुशील के पिता दीवान सिंह महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड में बतौर ड्राइवर काम करते थे। सुशील के पिता दीवान सिंह और और करीबी रिस्तेदार संदीप भी पहलवानी करते रहे हैं।
सुशील ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी रेसलिंग सीखी। सुशील कुमार ने 66 किलो ग्राम वेट डिविजन में 2010 वर्ल्ड टाइटल जीता। सुशील ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल हासिल किया। 2008 में बीजिंग ओलम्पिक्स ब्रोंज मैडल जीता। सुशील कुमार को जुलाई, 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाज़ा गया।, वर्ष 2014 में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में 74 Kg डिविजन में सुशील ने गोल्ड मेडल जीता।