वीएस चौहान की रिपोर्ट
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन और मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले हैं। अब यहां चार संदिग्ध मरीज हैं। इन मरीजों में 62 वर्षीय व एक 63 वर्षीय पुरूष और 45 व 40 वर्षीय दो महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी के मरीज को एम्स ऋषिकेश रेफर करा दिया गया। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि मरीजों को पर्याप्त इलाज दिया जा रहा है। ब्लैक फंगस के मद्देनजर इंजेक्शन के लिए ऑर्डर दे दिया गया है।
कोरोनेशन जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन व सीएम के चिकित्सक डॉ. एनएस बिष्ट ने ब्लैक फंगस को लेकर एक जागरूकता संदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि इससे बचाव को सफाई ही एक मात्र उपाय है। यह बीमारी पहले भी थी, पर अब स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से मामले बढ़ रहे है। वहीं कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को यह निशाना बना रही है।
शैल शिखर सामाजिक संस्था ने दून के एक निजी अस्पताल पर इलाज के नाम पर वसूली का आरोप लगाया है। संस्था के प्रबंधक अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि चंद्रबनी निवासी गौरव शर्मा घर में अकेले कमाने वाले थे। उन्हें आठ मई को तबीयत बिगडऩे पर न्यू रोड स्थित पारस दून अस्पताल में भर्ती कराया गया। 14 मई को उनकी मौत हो गई। आरोप है कि बकाया एक लाख बीस हजार रुपये जमा करने तक शव स्वजन को नहीं दिया गया। स्वजन पांच घंटे इंतजार करते रहे। जबकि 40 हजार रुपये पहले ही जमा करा दिए गए थे। वहीं करीब 80 हजार रुपये की दवा बाहर से मंगाई गई। उधर, अस्पताल के निदेशक डॉ. नोमान का कहना है कि मरीज की कोविड रिपोर्ट निगेटिव थी और उन्हें निमोनिया की दिक्कत थी। कोई लापरवाही नहीं बरती गई। शव देरी से देने का आरोप गलत है। शुल्क तय गाइडलाइन के हिसाब से ही लिया जा रहा है।