वीएस चौहान की रिपोर्ट
कुरौना वायरस ने पूरी दुनिया को परेशानी में डाला हुआ है. ऐसे में किसी भी देश की दूसरे देश से जंग बहुत नुकसानदायक है जंग का परिणाम उस देश की जनता को भुगतना पड़ता है. जंग नहीं होनी चाहिए. जंग करने वाले देश तरक्की के बजाय बहुत साल पीछे चले जाते हैं.
इजराइल (इजरायल) और फलस्तीन के बीच शुरू हुआ विवाद अब जंग में तब्दील होता जा रहा है। इजराइल की ओर से बुधवार को किए गए हवाई हमले में चरमपंथी समूह हमास के कई शीर्ष कमांडर मारे गए हैं। वहीं, हमास के रॉकेट हमले में भी इजराइल के कई लोगों के मारे जाने की खबर है। कुल मिलाकर इजराइल और हमास के हमले में अब तक करीब 60 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। यहां यह जानना जरूरी होगा कि इजराइल और फलस्तीन के बीच विवाद को नया नहीं है, बल्कि इसकी जड़ 120 साल पुरानी है।
इजराइल और फलस्तीन के बीच टकराव की शुरुआत यहूदियों व अरब जगत के लोगों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना के संघर्ष से हुई थी। 1947 में संयुक्त राष्ट्र के इजराइल के अस्तित्व को मान्यता देने के बाद से ही क्षेत्र में हिंसा और तनाव का दौर जारी है।
19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में खाड़ी क्षेत्र में कई आंदोलन हुए, जिनका मकसद यहूदियों और अरब जगत के लोगों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना था।
-1920 के दशक में फलस्तीनी राष्ट्रवाद की अवधारणा परवान चढ़ी, यरुशलम में लाखों की संख्या में अरब नागरिकों ने यहूदियों के आगमन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किए।
-1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फलस्तीन को दो हिस्सों में बांटा, यहूदियों के लिए इजराइल और अरब जगत के लोगों के लिए फलस्तीन, अरब समुदाय ने जताई आपत्ति, फलस्तीन में छिड़ा गृहयुद्ध।
-1967 में खाड़ी क्षेत्र में जारी युद्ध और हिंसा के बीच गाजा पट्टी, सिनाय प्रायद्वीप, पूर्वी यरुशलम तथा पश्चिमी तट पर इजराइल का कब्जा हुआ, दोनों देशों में तब से ही जारी है सीमा विवाद।
झगड़े का केंद्र यरुशलम क्यों
-पुराने यरुशलम के बीचोंबीच ‘टेंपल माउंट’ नाम की एक पहाड़ी है, जिसे यहूदियों के सबसे पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है।
-मुस्लिमों के बीच यह स्थल ‘हरम अस-शरीफ’ नाम से मशहूर है, अल-अकसा मस्जिद, कुब्बत अल-सखरा जैसे तीर्थस्थल मौजूद।
-वहीं, ईसाइयों का मानना है कि ईसा मसीह ने इसी स्थान पर धार्मिक उपदेश दिया था, उन्हें यहीं पर सूली पर लटकाया था, जिसके कुछ दिनों बाद वह एक बार फिर प्रकट हुए थे।
दोनों देशों का रुख
-इजरायल पूरे यरुशलम को अपनी सार्वकालिक और अविभाजित राजधानी मानता है। जबकि, फलस्तीन इसके पूर्वी हिस्से को अपने भावी राष्ट्र की राजधानी के तौर पर स्थापित करना चाहता है। बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने फिलहाल पूर्वी यरुशलम पर इजरायल के कब्जे को मान्यता नहीं दी है।
हमास ने तीन दिन में एक हजार से ज्यादा रॉकेट दागे
इजरायल ने बताया कि हमास के चरमपंथियों ने सोमवार से अब तक गाजा से देश पर 1050 रॉकेट दागे हैं। इनमें से 850 इजरायल में गिरे हैं, जबकि करीब 200 को इजरायल की के डोम एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। वहीं इजरायल ने सैकड़ों हवाई हमले में गाजा में दो टावर को ध्वस्त कर दिया हैं। माना जा रहा है कि इन टावरों में ही हमास के शीर्ष कमांडर मौजूद थे। इजरायल ने पहले चेतावनी देते हुए गोलियां चलाईं ताकि नागरिक टावर छोड़कर जा सकें लेकिन बाकी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा। गाजा पर फलस्तीनी चरमपंथी गुट हमास का नियंत्रण है। दूसरी ओर हमास का कहना है कि दुश्मनों ने आवासीय टॉवर्स को निशाना बनाकर हमें उकसाया है।