धार्मिक मान्यता है कि महर्षि कण्व की तपस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार से करीब 14 किलोमीटर दूर है। इसी के आधार पर कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी रखने की मांग हो रही थी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से नए नाम पर सहमति दे दी गई

Vs चौहान की रिपोर्ट

उत्तराखंड के कोटद्वार के लोगों की लंबे समय से कोटद्वार के नाम को लेकर बदलने की मांग उठ रही थी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उनकी मांगों को पूरा करते हुए नाम बदलने के लिए सहमति दे दी उत्तराखंड में पौड़ी जिले के कोटद्वार नगर निगम का नाम अब बदलकर कण्व नगरी हो जाएगा। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद से सटे उत्तराखंड के कोटद्वार का नाम महर्षि कण्व के नाम पर रखे जाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी।

वहां के लोगों की माने तो धार्मिक मान्यता है कि महर्षि कण्व की तपस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार से करीब 14 किलोमीटर दूर है। इसलिए कोटद्वार की पहचान कण्व महर्षि के नाम पर भी है। इसी के आधार पर कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी रखने की मांग हो रही थी

पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से नए नाम पर सहमति दे दी गई है। माना जा रहा है कि नाम परिवर्तन से कोटद्वार को धार्मिक पर्यटन के रूप में पहचान मिल पाएगी।

सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस से कोटद्वार को मिलेगी नई पहचान
कोरोना संक्रमणकाल के करीब सालभर बाद कोटद्वार में रेलवे की गतिविधियां शुरू होने का जिले के दूरस्थ विकास खंडों के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि कोटद्वार के सिद्धबली धाम के नाम पर देश की राजधानी के लिए नई एक्सप्रेस ट्रेन संचालित होने से कोटद्वार के साथ ही गढ़वाल को नई पहचान मिलेगी। कई संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि सिद्धबली के नाम से सीधी ट्रेन शुरू होने से गढ़वाल ही नहीं, बिजनौर, मेरठ और दिल्ली समेत मैदानी क्षेत्र में रहने वाले उत्तराखंडी प्रवासियों में उत्साह बना हुआ है। उन्हें उम्मीद है कोरोना संक्रमणकाल में बंद पड़ी मसूरी लिंक और गढ़वाल एक्सप्रेस भी जल्द पटरी पर लौट आएगी।

कोरोना संक्रमण काल के बाद कोटद्वार से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा का संचालन होने से पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा। दिल्ली से गढ़वाल आने वाले लोगों के लिए यह सबसे अच्छी रेल सेवा साबित होगी। वे समय से पहाड़ के अपने गांवों के लिए रवाना हो सकेंगे

 

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