उत्तराखंड में नदियों का जलस्तर गिरने से बिजली उत्पादन में जबरदस्त गिरावट आई है। तापमान गिरने के उच्च हिमालयन क्षेत्रों में बर्फ पिघलनी बंद हो गई है। इस कारण नदियों में पानी कम होने लगा है। इसका सीधा असर जल विद्युत परियोजनाओं पर पड़ा है। टर्बाइनों की रफ्तार कम हो गई है और विद्युत उत्पादन सामान्य से कम हो रहा है। ऊर्जा निगम को विद्युत आपूर्ति सुचारू रखने के लिए बाहरी राज्यों पर निर्भरता बढ़ गई है।
लगातार खराब हो रहे मौसम के कारण ऊर्जा निगम भी विद्युत उत्पादन के लिए चिंतित है। यदि आने वाले दिनों में भी मौसम इसी तरह खराब रहा तो विद्युत उत्पादन में ओर कमी आने की संभावना है। ऐसे में निगम को केंद्रीय सेक्टरों से बिजली की व्यवस्था करनी पड़ सकती है।
उत्पादन केंद्रों पर यदि नजर डालें तो यूजेवीएनएल से 8.5 मिलियन यूनिट, गैस पावर हाइड्रो से 7.5, सोलर प्लांटों से तीन मिलियन यूनिट, जबकि शुगर प्लांटों से एक मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
सप्ताह में यह रही बिजली की मांग
16 दिसंबर———36.7 मिलियन यूनिट
15 दिसंबर———32.7 मिलियन यूनिट
14 दिसंबर———33.2 मिलियन यूनिट
13 दिसंबर———29.5 मिलियन यूनिट
12 दिसंबर———36.2 मिलियन यूनिट
11 दिसंबर———36.7 मिलियन यूनिट
10 दिसंबर———35.9 मिलियन यूनिट
इसलिए बढ़ रही बिजली की मांग
कड़ाके की सर्दी में घरों में हीटर और ब्लोअर लगाने का प्रचलन बढ़ा है। जिससे विद्युत की खपत भी बढ़ जाती है। गर्मियों में विद्युत की डिमांड को बढ़ती है लेकिन उसके सापेक्ष उत्पादन भी बढ़ जाता है। सर्दियों में विद्युत की मांग तो बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन कम हो रहा है। इसलिए दिक्कत आती है। इसलिए ऊर्जा निगम को केंद्रीय सेक्टरों से बिजली लेकर इसकी कमी पूरी करनी पड़ रही है।
फिलहाल नहीं हो रही बिजली की कटौती
ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता एके सिंह के मुताबिक, नदियों में पानी कम होने और बर्फ कम पिघलने के कारण बिजली उत्पादन में कमी आई है। ऐसे में सेंट्रल सेक्टरों से बिजली ली जा रही है। फिलहाल बिजली कटौती नहीं की जा रही है।