लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिला पास होने के बाद से असम में जमकर इसका विरोध किया जा रहा है। सोमवार को हुए हंगामे के बाद आज (मंगलवार) ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO)ने 12 घंटे का बंद बुलाया है। राज्य के लोगों का कहना है कि बाहर से आए नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। आसू और बाकी संगठन विधेयक का जमकर विरोध कर रहे हैं।
त्रिपुरा में जमकर हंगामा
एक दिन पहले भी हुआ विरोध
छात्र संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद से एक दिन पहले भी सोमवार को पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ था। एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्षेत्र में छात्र संगठनों के शीर्ष संगठन नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनईएसओ) की विधेयक पर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया था।
पूर्वोत्तर में आठ राज्यों की अंतरराष्ट्रीय सीमा चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान से लगती है। शाह के इस दावे के बावजूद कि यह विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है, बल्कि घुसपैठ के खिलाफ है, प्रदर्शन हुए।
आम जनजीवन प्रभावित
ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू) ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ और छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर 48 घंटे के असम बंद का आह्वान कर रखा था। बंद के पहले दिन सोमवार को कई जिलों में आम जनजीवन प्रभावित हुआ।
सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे
सुबह पांच बजे से लखीमपुर, धेमाजी, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, शिवसागर, जोरहाट, माजुली, मोरिगांव, बोंगाइगांव, उदलगुड़ी, कोकराझार और बक्सा जिले में सैकड़ों लोग सड़क पर उतरे। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए और राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित किया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
एनईएसओ ने मंगलवार को 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया है। हॉर्नबिल उत्सव के कारण नगालैंड को बंद से छूट दी गई है। एनईएसओ के बंद को विपक्षी कांग्रेस, वाम और एआइडीयूएफ से भी समर्थन हासिल है।