नयी दिल्ली। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस साल करवा चौथ 17 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। ये व्रत गुरुवार सुबह सूर्योदय से शुरू होगा। शाम को चांद निकलने तक रखा जाएगा। शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं व्रत खोलेंगी। इस दिन चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है। इस बार करवा चाैथ पर ग्रहों की स्थिति भी खास है।
24 साल बाद पूर्ण राजयोग :
चंद्रमा और बृहस्पति का दृष्टि संबंध होने से गजकेसरी राजयोग बन रहा है। ग्रहों की ऐसी स्थिति पिछले साल भी बनी थी, लेकिन बुध और केतु के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। बृहस्पति के अलावा चंद्रमा पर किसी भी अन्य ग्रह की दृष्टि नहीं पड़ने से पूर्ण राजयोग बन रहा है। इससे पहले 12 अक्टूबर 1995 को करवा चौथ पर पूर्ण राजयोग बना था। वहीं बृहस्पति और चंद्रमा का दृष्टि संबंध 2007 में भी बना था, लेकिन शनि की वक्र दृष्टि के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था।
व्रत का विशेष लाभ:
शुभ ग्रह-योग में की गई पूजा से विशेष फल प्राप्त होता है। गुरुवार होने से इस व्रत का फल और बढ़ जाएगा। इसके प्रभाव से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा। राजयोग में पूजा करने से महिलाओं को व्रत का पूरा फल मिलेगा। इस योग के प्रभाव से अखंड सौभाग्य के साथ ही समृद्धि भी प्राप्त होगी। इस व्रत को करने से स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और परिवार में सुख भी बढ़ेगा।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त :
शाम 05:55 से 07:15 तक
शाम 07: 35 से रात 08:50 तक
करवा चौथ पर चन्द्रोदय का समय :
रात 08:50 (इस समय तक देश में हर जगह चंद्रमा के दर्शन हो जाएंगे)
चाैथ माता और चंद्रमा की पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पति की लंबी आयु, बेहतर स्वास्थ्य व अखंड सौभाग्य के लिए संकल्प लें। इस दिन अपनी शक्ति के अनुसार निराहार (बिना कुछ खाए-पिए) रहें। संभव न हो तो थोड़ा बहुत फलाहार किया जा सकता है।
- शाम को जहां पूजा करनी है, वहां एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें। चौथ माता की फोटो लगाएं और पूजा के स्थान पर मिट्टी का करवा भी रखें।
- करवे में थोड़ा सा पानी भरें और दीपक से ढंककर एक रुपए का सिक्का रखें। इसके ऊपर लाल कपड़ा रखें। पूजा सामग्री से सभी देवताओं की पूजा करें। लड्डुओं का भोग लगाएं और आरती करें।
- जब चंद्र उदय हो जाए तो चंद्रमा की पूजा करें। चंद्रमा को जल चढ़ाएं यानी अर्घ्य दें। फिर चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल, फूल और अन्य पूजन सामग्री भी चढ़ाएं।
- इसके बाद अपने पति के चरण छुएं। उनके मस्तक पर तिलक लगाएं। पति की माता (यानी अपनी सासू मां) को अपना करवा भेंट कर आशीर्वाद लें।
- अगर सास न हो तो अपने से उम्र में बड़ी या मां समान परिवार की किसी अन्य सुहागिन महिला को करवा भेंट करें। इसके बाद परिवार के साथ भोजन करें।
- करवा चौथ पर पूजन की ये सामान्य विधि है। अपने-अपने रीति-रिवाजों और क्षेत्रों के हिसाब से भी पूजा की जा सकती है।