अंबेडकर अस्पताल में प्राइवेट सेक्युरिटी एजेंसी के बाउंसरों ने पत्रकारों के साथ मारपीट की। बाउंसरों का पुलिस ने निकाला जुलूस, राजधानी की सड़कों पर घुमाया.

Gaurav agrawal NEWS EXPRESSINDIA

रविवार देर रात अंबेडकर अस्पताल में प्राइवेट सेक्युरिटी एजेंसी के बाउंसरों ने पत्रकारों के साथ मारपीट की। पत्रकार चाकूबाजी की घटना की जानकारी लेने अस्पताल पहुंचे थे। इसी दौरान बाउंसर पत्रकारों से धक्का-मुक्की और हाथापाई करने लगे। इसकी खबर मिलते ही अन्य पत्रकार भी वहां पहुंच गए। बाउंसर्स ने सभी के साथ मारपीट शुरू कर दी।

घटना से नाराज पत्रकारों ने देर रात सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन पर बैठ गए। रात करीब दो बजे तक विरोध चला। फिर अस्पताल अधीक्षक मौके पर पहुंचे। उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। देर रात राजधानी पुलिस ने आरोपी चारों बाउंसर को गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को पुलिस ने चारों आरोपियों का जुलूस भी निकाला।

विवाद तब बढ़ा, जब अस्पताल में बाउंसर सप्लाई करने वाली एजेंसी का संचालक वसीम बाबू पिस्तौल लेकर अस्पताल पहुंचा। वसीम अपने 3 बाउंसर के साथ मिलकर पत्रकारों को धमकाने लगा। पुलिस की मौजूदगी में उसने महिला सुरक्षाकर्मियों को अस्पताल के गेट से बाहर निकालकर पत्रकारों की ओर धकेलना शुरू कर दिया। इससे आहत होकर पत्रकार विरोध प्रदर्शन करने लगे। लगभग 3 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न हुई तो पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दिया।

अधीक्षक ने लिखा पत्र- एजेंसी का ठेका निरस्त करें

अस्पताल अधीक्षक डॉ संतोष सोनकर ने सुरक्षा एजेंसी का ठेका निरस्त करने मेडिकल कॉलेज डीन के डीन डॉ. विवेक चौधरी को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि रविवार रात को जो घटना हुई, उससे हॉस्पिटल की छवि खराब हुई है और यहां का माहौल खराब हुआ। जांच कर सुरक्षा एजेंसी का टेंडर निरस्त कर देना चाहिए। बता दें कि सुरक्षा के नाम पर हर माह 33 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी मरीज बदसलूकी और दुर्व्यवहार झेल रहे हैं।

अस्पताल प्रशासन ने एक निजी एजेंसी के माध्यम से 216 सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति की है। इसके अलावा 10 सुपरवाइजर भी तैनात हैं। इसके बाद भी अस्पताल में 10 हथियारबंद गनमैन तैनात हैं, जिनकी जरूरत ही नहीं है। अस्पताल में इन सब के अलावा एक पुलिस चौकी भी है। अस्पताल में आए मरीजों से ये गुंडों की तरह व्यवहार करते हैं। एजेंसी के ये गुंडे अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों और उनके परिजनों को हर छोटी-मोटी बातों पर धमकाते हैं। बाहर निकालने की धमकी देते हैं।

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