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उत्तराखंड के दो दिवसीय प्रवास पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जब हम स्वाधीनता के 100 वर्ष मनाएंगे उत्तराखंड एक नंबर का राज्य बनकर उभर चुका होगा। युवा पीढ़ी के उत्साह और योगदान से वर्ष 2047 में हमारा देश विश्व समुदाय में अपनी क्षमता के अनुरूप श्रेष्ठता प्राप्त कर चुका होगा।
राष्ट्रपति मुख्यमंत्री आवास में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथियों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने रिमोट का बटन दबाकर करीब 2000 करोड़ रुपये की नौ परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन किए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के कुशल मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड तरक्की कर रहा है। उत्तराखंड में बेटियों की युवा पीढ़ी भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है। यह सामाजिक परिवर्तन विकसित उत्तराखंड और विकसित भारत की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है।
राज्य के जौनसार, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी के सांस्कृतिक दलों की मनमोहक प्रस्तुतियों पर मुग्ध राष्ट्रपति ने उन्हें बढ़ावा देने की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि हमारे संस्कृति वाहक वन के फूल जैसे हैं, ये लोगों को सुशोभित तो करते हैं, लेकिन अंजाने में पेड़ों से झड़ जाते हैं। हम लोगों का कर्तव्य है कि इन्हें संरक्षित, विकसित, सशक्त करें। क्योंकि इन लोगों की संस्कृति बनावटी नहीं है। उन्होंने उड़ीसा की संस्कृति का जिक्र किया कि वहां की संस्कृति देश-विदेशों में प्रसिद्ध है, लेकिन किन लोगों के माध्यम से है ? जिन लोगों की संस्कृति है, वे देश-विदेश नहीं जा पाते। जो लोग सीखते हैं वे चले जाते हैं। इसलिए जिन लोगों की संस्कृति है, उन्हीं लोगों को पूरे विश्व दरबार में पेश करना चाहिए। यह वे लोग हैं, जो हम लोगों को पहचान देते हैं। यह नहीं कि दूसरों को सिखाकर वाह-वाह लूटनी चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखंड के पौराणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक पर्यावरणीय महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पर्वतराज हिमालय और उत्तराखंड के शूरवीर भारत माता के प्रहरी रहे हैं। जनरल बिपिन रावत, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, जनरल विपिन चंद्र जोशी, राजेश सिंह अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता, राइफल मैन जसवंत सिंह रावत, सैनिक दीवान सिंह को नमन किया और कहा कि उत्तराखंड की भूमि ऐसे वीरों की जननी है। इस धरती के शूरवीरों को अशोक चक्र व कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।
उन्होंने रानी कर्णावती, गौरा देवी, बछेंद्रीपाल, बसंती बिष्ट, वंदना कटारिया के गौरव को महिला सशक्तिकरण का अनूठा उदाहरण बताया। वीरचंद्र सिंह गढ़वाली, श्रीदेव सुमन, इंद्रमणि बडोनी, गोविंद बल्लभ पंत को भी याद किया। उन्होंने कहा कि राज्य की युवा पीढ़ी को इन विभूतियों और प्रतिभाओं के बारे में बताया जाना चाहिए। उन्होंने अर्जुन पुरस्कार विजेता लक्ष्य सैन को युवाओं की प्रेरणा बताया।