फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह के तार दिल्ली से जुड़े हैं। गिरोह का सरगना 2016 से फर्जी डिग्री बनाने का काम कर रहा था।

Herdyes ballabh goswami for NEWS EXPRESS INDIA

सपने बुनते युवाओं के सपनों को ग्रहण लगाने का काम करने वाले फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह के तार दिल्ली से जुड़े हैं। गिरोह का सरगना 2016 से फर्जी डिग्री बनाने का काम कर रहा था। दिल्ली से ऑर्डर मिलने के बाद उसे तैयार करने का जिम्मा गिरोह के सरगना नवदीप सिंह भाटिया का था। वह अपनी लग्जरी कार के माध्यम से उसे दिल्ली पहुंचाने का काम करता था।

फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह के सरगना नवदीप सिंह भाटिया पिछले 15 दिन से पुलिस से बचने के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली में ठिकाना बदल रहा था। 10 नवंबर को पुलिस छापेमारी की जानकारी मिलने पर वह अपनी कार से फरार हो गया था। मगर पुलिस उसके पीछे साये की तरह पड़ी हुई थी। गुरुवार शाम नवदीप के पकड़े जाने के बाद पुलिस के हाथ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। दिल्ली का एक व्यक्ति लेता था ऑर्डर

नवदीप से पूछताछ में दिल्ली के एक व्यक्ति का नाम सामने आया है। वह योजनाबद्ध तरीके से काम करते हुए दिल्ली में रह कर ऑर्डर लेता था। वही विभिन्न विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के संपर्क में रहता था, जिससे उसके पकड़े जाने पर नवदीप सुरक्षित रह सके, परंतु यहां हुआ उलटा और नवदीप पहले पकड़ा गया, जिसके चलते पूरे खेल का काला सच सामने आ गया।

फर्जी डिग्री का ये पूरा खेल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ही चल रहा था। दिल्ली में बैठा व्यक्ति आवश्यकतानुसार डील तय कर उसका डाटा रुद्रपुर भेजता था। जिस पर रुद्रपुर में फर्जी डिग्री से लेकर माइग्रेशन प्रमाण पत्र तैयार किया जाता था। उसके बाद निर्धारित समय सीमा पर तैयार प्रमाण पत्र लेकर नवदीप ही दिल्ली जाता था। उसके लग्जरी वाहनों का प्रयोग प्रमाण पत्र दिल्ली पहुंचाने के लिए किया जाता था। लग्जरी वाहनों की अनावश्यक चेकिंग न होने के कारण वह सफलता पूर्वक अपना काम कर रहा था। परंतु फर्जी डिग्री बनाने का काम एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी की मुहिम आपरेशन स्ट्रोम की भेंट चढ़ गया।

छह वर्ष से फर्जी डिग्री बनाने के काम में लगे नवदीप सिंह ने फर्जीवाड़े से करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने की बात पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आई है। पुलिस एसएसपी के निर्देश पर उसके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति की जानकारी एकत्र करने में लगी है। पुलिस जांच में उसके छह वर्ष से पहले की स्थिति और फर्जीवाड़े के काम के बाद की स्थिति की जानकारी लेगा। जिसके चलते फर्जीवाड़े से एकत्र की गई संपत्ति को पुलिस जब्त करने की कार्रवाई भी कर सकती है। इसके लिए साक्ष्य एकत्र करने का काम पुलिस कर रही है।

 

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