रायपुर सीट कांग्रेस की झोली में जा रही है।हीरा सिंह बिष्ट की स्थानीय और मृदु भाषी मिलनसार छवि, उमेश शर्मा का अहंकार ले डूबेगा।

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उत्तराखंड में पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश के कारण मौसम ठंडा हो गया हो लेकिन चुनावी मौसम का पारा बाढ़ रहा है सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में वोट के गुणा भाग में लगे हैं और चुनावी समीकरण अपने पक्ष में करने के लिए जनता के बीच जाकर प्रचार अभियान में जुटे हैं इस बार रायपुर विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर है

चुनाव का बिगुल बजते ही उत्तराखंड में घमासान शुरू हो गया, देहरादून शहर से सटी रायपुर विधान सभा से भाजपा ने एक बार फिर कभी कांग्रेस के सिपाही रहे उमेश शर्मा उर्फ काऊ प्रधान को अपना उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने अपने अनुभवी दिग्गज हीरा सिंह बिष्ट पर दांव लगाया है। उमेश शर्मा दो बार रायपुर से विधायक बने है, पहली बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर त्रिवेंद्र रावत को हराया था और दूसरी बार वह कांग्रेस से बगावत करके भाजपा की नाव में सवार होकर प्रभु लाल बहुगुणा को हराकर विधान सभा पहुंचे थे। राजनीतिक जानकारों की माने तो इस बार उनकी टक्कर हीरा सिंह बिष्ट से है जो राजनीति के मझे खिलाड़ी है और इस विधान सभा क्षेत्र का पहले भी नेतृत्व कर चुके है। उनका घर भी इसी क्षेत्र में आता है और पहाड़ी वोटों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। हीरा सिंह के साथ पूरी कांग्रेस एकजुटता के साथ खड़ी है जबकि उमेश शर्मा के साथ ऐसा नही है, उनकी पार्टी के कद्दावर लोग उन्हें हारता हुआ देखना चाहते है, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री और एक वर्तमान मंत्री भी उमेश शर्मा को हारता हुआ देखना चाहते है। इसलिए इस बार उमेश शर्मा की राह आसान नही लगती है। हीरा सिंह के आने से पहाड़ी वोट तो पहले ही उनसे दूर जा चुका था रही सही कसर मुस्लिम वोटों के कांग्रेस की ओर एकजुट होने से उमेश शर्मा की मुश्किलें बढ़ गई है। भाजपा का एक कुनबा उन्हें विधान सभा मे देखना ही नही चाहता है इसके लिए अंदरखाने बिसात बिछा दी गई है। इस बार चुनाव से ठीक पहले उमेश शर्मा की कांग्रेस में वापसी की खूब खबरे चली लेकिन बात नही बनी और थक हार कर आखिर में उमेश शर्मा को भाजपा के टिकट पर ही मैदान में उतरना पड़ा। लेकिन उमेश शर्मा को यह अहसास हो गया है कि भाजपा उनके साथ नही है। पूरे 10 साल की एंटी एंकम्बेंसी उनके साथ है और भाजपा में होने के चलते मुस्लिम वोटों का उनसे किनारा करना उन्हें भारी पड़ रहा है।

उमेश शर्मा का परम्परागत वोट उनसे छिटक गया और रही सही कसर भाजपा के दिग्गजों ने पूरी कर दी। अब उमेश शर्मा के विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल हो गया है। हीरा सिंह बिष्ट के लिए रायपुर आसान सीट हो गई है। भाजपा की अन्दरूनी राजनीति को हीरा सिंह बिष्ट अच्छी तरह भांप चुके हैं, इसलिए वह आश्वस्त है कि इस बार रायपुर सीट कांग्रेस की झोली में जा रही है।  हीरा सिंह बिष्ट की स्थानीय और मृदु भाषी मिलनसार छवि इस बार उमेश शर्मा के लिए मुसीबत बन गई है। रायपुर सीट इस बार कांग्रेस की झोली में जाती हुई दिखाई दे रही है। उमेश शर्मा का अहंकार उन्हें ले डूबेगा। बाजी उनके हाथ से निकल चुकी है यह बात उमेश शर्मा अच्छी तरह जान चुके है शायद इसलिए ही वह झुंझलाते हुए दिखाई दे रहे है। उनके चेहरे रंग उड़ चुका है और रायपुर विधानसभा सीट के लोग उनसे लगातार दूरी बनाते जा रहे हैं। इस बार रायपुर सीट पर जनता ने दलबदलू उमेश शर्मा को सबक सिखाने की ठान ली है। एक एक कर सभी समुदाय के लोग कांग्रेस की ओर लामबन्द हो रहे है, जिसके चलते भाजपा प्रत्याशी उमेश शर्मा की मुश्किलें बढ़ गई है।

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