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जब भाजपा ने 20 जनवरी को 59 प्रत्याशियों की सूची जारी की। लेकिन 11 सीटों को पेंडिंग में डाल दिया गया। इसमें ऊधमसिंह नगर की मुख्यालय सीट रुद्रपुर भी शामिल थी। हालांकि प्रत्याशियों की सूची जारी होने से करीब एक सप्ताह पहले ही चर्चा थी कि रुद्रपुर सीट की तस्वीर 26 जनवरी से पहले साफ नहीं होगी। इसे लेकर विधायक ठुकराल का टिकट कटने के कयास लगाए जा रहे थे, जो सही साबित हुई। आखिर शिव अरोड़ा को टिकट मिल गया.
राजकुमार ठुकराल व शिव अरोरा की मजबूत दावेदारी को लेकर संगठन असमंजस की स्थिति में रहा कि दो बार से ठुकराल विधायक हैं तो दूसरी ओर संगठन में अरोरा की मजबूत पकड़। शुक्रवार को दिल्ली से आई चार सदस्यीय टीम ने रुद्रपुर आकर दोबारा सर्वे किया। राजकुमार ठुकराल डिग्री कालेज छात्र संघ के दो बार अध्यक्ष चुने गए थे। पार्षद, नगर पालिका अध्यक्ष व दो बार लगातार रुद्रपुर से विधायक चुने गए हैं।
ठुकराल ने तराई के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ को दोनों बार हराया था। अक्सर विवाद में बने रहने, हिन्दू विरोधी व संगठन के खिलाफ कथित ऑडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल होने ठुकराल पर भारी पड़ गया।हालांकि ठुकराल ने खुद शुक्रवार को कथित ऑडियो को लेकर प्रेसवार्ता कर मीडिया के सामने सफाई दी और कहा कि साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने के लिए झूठी ऑडियो वायरल जारी होने की बात कही थी।
इधर ,संगठन व पार्टी में बेहतर तालमेल बैठाने, प्रबंधन में माहिर, सौम्य व्यवहार, दो बार से लगातार जिलाध्यक्ष के दौरान जिले में काशीपुर व रुद्रपुर नगर निगम चुनाव फतह करने का फायदा शिव अरोरा को मिला। विधानसभा चुनाव 2022 में अरोड़ा को जीत के लिए कितना फायदा मिलता है उनको जीत की सफलता मिलती है. अभी तक आंकड़े बीजेपी की तरफ ही जा रहे हैं. देखना है कि यह मिथक बरकरार रह पाता है या नहीं। या इस सीट पर किस राजनीतिक दल की जीत होती है यह तो के ही पता चल पाएगा। रुद्रपुर सीट से अभी तक आम आदमी पार्टी ने किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।