VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA कांग्रेस के युवा दिग्गज नेता आरपीएन सिंह कांग्रेश के लिए एक मजबूत स्तंभ थे. लेकिन उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. देखा जाए तो कांग्रेश के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है. लेकिन देखना यह है इनके बीजेपी में आने से बीजेपी को कितना प्रतिशत फायदा होता है.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह (RPN Singh) मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो गए. कुशीनगर जिले की पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह हाल ही में बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि हमारा एक कार्यकर्ता भी आरपीएन सिंह को हरा देगा.
सवाल उठता है कि आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी को कितना फायदा होगा? इसी का जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज़ के लिए सी वोटर ने स्नैप पोल किया है. 35 फीसदी लोगों ने कहा कि आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी को फायदा होगा. वहीं 34 फीसदी ने कहा कि नुकसान होगा. वहीं 31 फीसदी ने पता नहीं में जवाब दिया.
आरपीएन सिंह ने पडरौना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1996, 2002 और वर्ष 2007 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह कुशीनगर से 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर वह सांसद बने और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में गृह राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली. हालांकि, इसके बाद के चुनावों में उन्हें लगातार हार का ही सामना करना पड़ा.
करीब 32 साल तक कांग्रेस में रहे और विधायक से लेकर सांसद और केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपा. भाजपा में शामिल होने को उन्होंने एक नयी शुरुआत की है और उन्होंने कहा कि पहले जो कांग्रेस थी, अब वह नहीं रही और ना ही उसकी सोच रही. ऐसे में जब किसी राजनीतिक दल की विचारधारा ही बदल जाए तो ऐसे में नया रास्ता खोज लेना ही जरूरी है.
यदि आर पी एन सिंह पडरौना सीट से चुनाव लड़ते हैं तो निसंदेह स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए जीतना एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगा क्योंकि जनता जानती है टिकट के लालच में स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए. जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी बीजेपी के साथ है.ऐसे में पडरौना की जनता का रुझानआरपीएन सिंह की तरफ हो जाएगा. इस स्थिति में आरपीएन सिंह के जीतने के चांस ज्यादा है.