महंत नरेंद्रगिरि आत्महत्या मामले में गिरफ्तार आनंदगिरि की पहचान 25 साल पहले अशोक चोटिया नाम से थी.पढ़िए पूरी खबर.

VS CHAUHAN KI REPORT

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ  के महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या  मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके पूर्व शिष्य आनंद गिरि का विवादों से पुराना नाता रहा है.कुंभ मेले के चलते देश-विदेश में उनके संपर्क सूत्र विकसित हो गए. कई विदेश दौरे भी उसके खाते में दर्ज हैं. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में दो साल पहले एक विवाद के बाद जेल की हवा भी खा चुका है. पिछले प्रयाग कुंभ के दौरान गंगा संरक्षण पर वृहत कार्यक्रम आयोजित कर सुर्खियां बटोरी थी.अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने पिछले दिनों विवाद के बाद उन्हें मठ से निकाल दिया था. तब से वो हरिद्वार में रह रहे थे.

इस हाईप्रोफाइल केस में पुलिस सहित दूसरी एजेंसियां भी सक्रिय होती नजर आ रही है. अब लोगों जानना चाहते हैं आखिर आनंद गिरि कौन हैं? दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि का कृपापात्र और एक समय में खुद को उनका उत्तराधिकारी कहने वाले आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के निवासी हैं.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी गांव खासा चर्चा में है. इसकी बड़ी वजह है इस मामले गिरफ्तार किया गया उनका शिष्य आनंद गिरि . आनंद गिरि की आज से करीब 25 साल पहले पहचान अशोक चोटिया नाम से थी.संन्यासी बनने से पहले उनका नाम अशोक खंडेलवाल उर्फ अशोक चोटिया था. भीलवाड़ा जिले के ब्राह्मणों की सरेरी का निवासी है आनंद गिरि. अशोक चोटिया से आनंद गिरि बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है. कुंभ मेले के दौरान एक संत के जरिए नरेन्द्र गिरि से इसका परिचय हुआ. फिर उन्होंने बाघम्बरी मठ को ही अपना ठिकाना और नरेद्र गिरि को अपना गुरु बना लिया.

आनंद गिरि पर लगे आरोपों को ग्रामीण निराधार मानते हैं. उनका कहना है कि आनंद गिरी संत बनने के बाद सिर्फ दो बार गांव आया था. आनंद गिरि स्वभाव से काफी सरल और शांत है और अपने गुरु की सबसे ज्यादा इज्जत करता है.

आनंदि गिरि के पिता रामेश्वर चोटिया और 3 भाई कठिन हालात में जिंदगी जी रहे हैं. ये सभी एक ही घर में रह रहे हैं. इसमें आनंदगिरि का हिस्सा भी शामिल है.आनंद गिरि का परिवार आज भी बेहद गरीबी में गुजर-बसर करता है. जानकार बताते हैं कि आनंद गिरि चार भाइयों में सबसे छोटा हैं. उनके एक भाई अभी भी ठेले पर सब्जी बेचते हैं. जबकि दो भाई कबाड़ का काम करते हैं. परिवार भले ही अभावों में गुजारा करता हो, लेकिन आनंद गिरि खुद लग्जरी लाइफ जीता है.

आनंद गिरी के पिता और भाई का कहना है कि उन पर लगाए सभी आरोप गलत हैं. बीते 25 साल में उन्होंने आनंदगिरि को केवल दो बार देखा है. एक बार जब गांव में दीक्षा ली और दूसरी बार जब मां का देहांत हुआ तब.आनंद गिरि का भीलवाड़ा कनेक्शन सामने आने के बाद लोग बताते हैं कि उनका यहां कम ही आना जाना होता था. पांच महीने पहले वो अपने मां के निधन पर आखिरी बार गांव आए थे. 2013 में भी एक बार वो गांव आए थे, तब उनके गुरु महंत नरेन्द्र गिरि भी साथ ही आए थे.परिवार का कहना है ही उनका कभी आनंद गिरि से कभी संपर्क रहा ही नहीं. आनंद गिरी परिवार को 25 साल पहले ही छोड़ चुके हैं.

आनंद गिरि के पिता रामेश्वर चोटिया ने बताया कि अशोक चोटिया 25 साल पहले घर से बिना बताए निकल गया था. 13 साल तक उसे ढूंढने का प्रयास किया गया. लेकिन उसका कोई पता नहीं चला. 13 साल बाद उसकी हरिद्वार में महंत नरेंद्र गिरि के पास होने की जानकारी मिली थी. उसके बाद महंत नरेंद्र गिरी अशोक को गांव लेकर आए थे. यहां 1 घंटे रुक कर अशोक को महंत नरेंद्र गिरि ने दीक्षा दिलाई और उसे नया नाम आनंद गिरी दे दिया था. उसके बाद आनंद गिरि ने कभी परिवार से संपर्क नहीं किया.

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