अफगानिस्तान की वह पहली महारानी, जिसने सार्वजनिक सभा में फाड़ दिया था अपना हिजाब.

VSCHAUHAN KI REPORT

हर समाज में बदलाव की शुरुआत होती है. समय परिवर्तनशील है. हर समय काल में कुछ नया होता है. कुछ महिलाएं या पुरुष ऐसे हुए जिन्होंने धार्मिक मान्यताएं रीति रिवाज कुरीतियां इन सब को दरकिनार करते हुए कुछ कुछ ऐसा नया कार्य कर डाला. उस वक्त के लोग उस कार्य के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. जो इतिहास में दर्ज हो गया.

ऐसी ही घटना की गवाह सोरया तारज़ी 20वीं सदी की शुरुआत में अफगानिस्तान की पहली रानी बनीं. वो तत्कालीन राजा अमानुल्लाह खान की पत्नी थीं. सीरिया में जन्मी सोरया की शिक्षा उनके पिता ने पूरी कराई, जो अफगान नेता और बुद्धिजीवी सरदार महमूद बेग तारज़ी थे. वो बराकजई वंश की एक उप-जनजाति मोहम्मदजई पश्तून जनजाति से थीं. वो पर्दा प्रथा और बहु विवाह के ख‍िलाफ काफी मुखर थीं. जानिए उनके बारे में ये खास बातें…

सोरया तारजी ने सीरिया में रहते हुए वेस्टर्न एंड मॉडर्न वैल्यूज विषयों में पढ़ाई की, इसकी छाप उनके पूरे जीवनकाल में साफ नजर आती है. जब अमानुल्लाह के पिता (हबीबुल्लाह खान) अक्टूबर 1901 में अफगानिस्तान के राजा बने, तो उनके राष्ट्र में उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक अफगान निर्वासितों की वापसी थी, विशेष रूप से तारज़ी परिवार और अन्य लोगों की. ऐसा इसलिए है क्योंकि तारज़ी परिवार ने अफगानिस्तान के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया. अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान लौटी सोरया तारज़ी बाद में राजा अमानुल्लाह खान से मिलीं और दोनों की शादी हुई.

साल 1913 में उन्होंने प्रिंस अमानुल्लाह से मुलाकात के बाद शादी का फैसला लिया था, और वो ही उनकी इकलौती पत्नी रहीं. ये उस दौरान की परंपरा के लिए एकदम अनोखी बात थी. दोनों के चार बेटे और छह बेटियां हुईं. उनकी बेटी प्रिंसेज इंडिया ने साल 2014 में दिए गए एक इंटरव्यू में मां के बारे में कहा था कि मेरी मां ने लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला और अपनी दो बेटियों को स्कूल भेजकर दूसरे परिवार और समाज के सामने नजीर पेश की.

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार प्रिंस अमानुल्लाह ने अफगानिस्तान का पहला संविधान तैयार किया. साथ ही उन्होंने सरकार की औपचारिक संरचना के लिए आधार स्थापित किया और संवैधानिक ढांचे के भीतर सम्राट की भूमिका स्थापित की. अमानुल्लाह अपने प्रयासों में महमूद तारज़ी से प्रभावित और प्रोत्साहित हुए थे. बताते हैं कि क्वीन सोरया तारज़ी, इस बदलाव का खास चेहरा थीं. उनकी ही प्रेरणा से राजा अमानुल्लाह खान ने सार्वजनिक रूप से पर्दे और बहुविवाह के खिलाफ अभियान चलाया.

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार प्रिंस अमानुल्लाह ने अफगानिस्तान का पहला संविधान तैयार किया. साथ ही उन्होंने सरकार की औपचारिक संरचना के लिए आधार स्थापित किया और संवैधानिक ढांचे के भीतर सम्राट की भूमिका स्थापित की. अमानुल्लाह अपने प्रयासों में महमूद तारज़ी से प्रभावित और प्रोत्साहित हुए थे. बताते हैं कि क्वीन सोरया तारज़ी, इस बदलाव का खास चेहरा थीं. उनकी ही प्रेरणा से राजा अमानुल्लाह खान ने सार्वजनिक रूप से पर्दे और बहुविवाह के खिलाफ अभियान चलाया.

उनके कार्यकाल में  न केवल काबुल में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित किया गया. तब एक सार्वजनिक समारोह में अमानुल्लाह ने कहा था कि इस्लाम में महिलाओं को अपने शरीर को ढंकने या किसी विशेष प्रकार के घूंघट पहनने की हिदायत नहीं दी गई. इसी भाषण के समापन पर, रानी सोरया ने सार्वजनिक रूप से अपना पर्दा (हिजाब) फाड़ दिया. बैठक में मौजूद अन्य अधिकारियों की पत्नियों ने भी उनके नक्शेकदम पर यही किया.

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