इन दिनों उत्‍तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई जगह बादल फटने से कोहराम मचा है। बदला फटना क्‍या है, इसे लेकर लोग कन्‍फ्यूज रहते हैं। यहां हम इसके बारे में आपके हर सवाल का जवाब दे रहे हैं।

VSCHAUHAN KI REPORT

उत्‍तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई जगह बादल फटने के बाद भारी बारिश से कोहराम मचा हुआ है। बादल फटने के बाद आई बाढ़ से इन पहाड़ी राज्‍यों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। स्थितियां इतनी बिगड़ चुकी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को कहना पड़ा है कि वे हालातों पर करीब से नजर रख रहे हैं। उन्‍होंने सभी तरह की मदद का भरोसा दिया है।

हर साल इस मौसम में पहाड़ी राज्‍यों में बादल फटने की खबरें आती हैं। हालांकि, कई लोग बादल फटने के मतलब को लेकर कन्‍फ्यूज रहते हैं। उन्‍हें लगता है कि बादल का टुकड़ों में हो जाना बादल फटना है। ऐसा समझना गलत है। आखिर ये कैसे फटते हैं, पहाड़ों में बादल फटने की घटनाएं क्‍यों होती हैं? आइए, यहां इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

क्‍या है बादल फटना?
दरअसल, ‘बादल फटना’ एक तकनीकी शब्‍द है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जब एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं। इस कॉन्‍सेप्‍ट को समझने के लिए पानी से भरे गुब्‍बारे का उदाहरण लिया जा सकता है। जिस तरह पानी से भरा गुब्‍बारा अगर फूट जाए तो एक साथ एक जगह पानी तेजी से गिरने लगता है वैसे ही पानी से भरे बादल फटने से पानी की बूंदें अचानक बहुत तेजी से गिरने लगती हैं। इसे ‘क्‍लाउडबर्स्‍ट’ या ‘फ्लैश फ्लड’ भी कहा जाता है. बादल फटना ‘अचानक, बहुत भारी’ बारिश होना है। यह थोड़े समय के लिए किसी खास स्‍थान पर होती है।

बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी नमी वाले बादल एक जगह ठहर जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बूंदों के भार से बादल की डेंसिटी (घनत्‍व) बढ़ जाती है। फिर अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है। बादल फटना आमतौर पर गरज के साथ होता है।

पहाड़ों पर क्‍यों ज्‍यादा फटते हैं बादल?
दरअसल, पानी से भरे बादल पहाड़ों में फंस जाते हैं। इनकी ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढ़ने देती है। इससे अचानक ही एक साथ एक जगह तेज बारिश होने लगती हैं। पहाड़ों पर पानी न रुकने से यह तेजी से नीचे की तरफ आता है। इसके रास्‍ते में जो आता है वह उसे बहा ले जाता है। भीषण तबाही की यही वजह होती है। 2013 में उत्‍तराखंड में केदारनाथ में आई तबाही को भला कौन भूल सकता है। तब केदारनाथ धाम में भारी बारिश से मंदाकिनी नदी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया था।

जान-माल के नुकसान से कैसे बच सकते हैं लोग?
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने अपनी वेबसाइट पर बादल फटने से संबंधित कई घटनाओं का जिक्र किया है। साथ ही जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। प्राधिकरण का सुझाव है कि लोगों को घाटियों के बजाय सुरक्षा कारणों से ढलानों पर मजबूत जमीन वाले क्षेत्रों में रहना चाहिए। जिन क्षेत्रों में जमीन दरक गई हो, वहां वर्षा जल और पानी को घुसने से रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। उसका सुझाव है कि ‘अंधाधुंध’ और ‘अवैज्ञानिक’ निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

 

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