हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की समीक्षा के लिए गठित अशोक चव्हाण कमिटी ने मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान ना करने को हार की एक वजह बताया है

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने दावा किया है कि हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की समीक्षा के लिए गठित अशोक चव्हाण कमिटी ने मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान ना करने को हार की एक वजह बताया है. एबीपी न्यूज से बात करते हुए रावत ने कहा, “चव्हाण कमिटी ने माना है कि चेहरे की अस्पष्टता के कारण केरल, असम और बंगाल में हमारा प्रदर्शन कमजोर रहा है”.

दरअसल, हरीश रावत पिछले कुछ महीनों से मांग करते रहे हैं कि कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान करना चाहिए. अपने राज्य उत्तराखंड में चुनाव से पहले रावत एक बार फिर इसे जरूरी बात रहे हैं. रावत का तर्क है कि बीजेपी चुनाव को मुद्दे से हटा कर चेहरे पर ले जाती है और यहीं पर कांग्रेस मात खा जाती है. रावत हरियाणा का उदाहरण देते रहे हैं जिसके लिए माना जाता है कि अगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया होता तो राज्य में उसकी सरकार होती. अपनी बात के समर्थन में रावत अब चव्हाण कमिटी का हवाला दे रहे हैं.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रावत की इस मांग का मतलब यह निकाला जाता है कि इस तरह परोक्ष रूप से वे खुद को एक बार फिर मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके जवाब में रावत ने कहा, “मैं सक्रिय राजनीति में हूं. लोग तो मतलब निकालेंगे ही लेकिन मेरी मांग एक राज्य को लेकर नहीं देश भर को लेकर है. फैसला कांग्रेस नेतृत्व को लेना है.”

हालांकि उत्तराखंड के बाकी सभी नेता रावत की इस मांग के खिलाफ हैं. यही वजह है कि प्रभारी देवेंद्र यादव ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही है.

उत्तराखंड चुनाव को लेकर दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद चेहरे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में यादव ने कहा, “हरीश रावत की चिंता वाजिब है. बीजेपी एक चेहरे के साथ चुनाव में जाती है लेकिन कांग्रेस में परम्परा रही है कि हम सामुहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ते हैं. हम साफ छवि के साथ विकास को आगे रख कर लोगों के बीच जाएंगे.” यादव ने ये बातें हरीश रावत भी मौजूदगी में ही कही.

उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने तय किया है कि पार्टी उत्तराखंड में सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. साफ है कि अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे उत्तराखंड चुनाव की तैयारियों में लगी कांग्रेस पार्टी किसी को भी चेहरा नहीं बनाएगी. हालांकि रावत अपनी मांग पर कायम हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तराखंड कांग्रेस में चेहरे का झगड़ा शुरू होने वाला है?

हरीश रावत फिलहाल कांग्रेस के पंजाब के प्रभारी हैं जहां अगले चुनाव में चेहरा बनने की अलग खींचतान चल रही है. अगले साल की शुरुआत में पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव साथ ही होंगे.

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