दान मांगने पर किसी ने फेका जूता तो उसे ही चंदा मानकर सर सैयद ने खड़ी कर दी यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी बनाते वक्त क्या क्या दिक्कत सामने आई. पढ़िए पूरी जानकारी.

VSCHAUHAN KI REPORT

AMU की स्थापना सर सैयद अहमद खान ने की थी जो उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था। 1870 के समय वह बनारस में सिविल जज के तौर पर तैनात थे और उनका लंदन आना जाना रहता था। वहीं उन्होंने ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी देखीं और भारत में भी एक ऐसी यूनिवर्सिटी बनाने का सपना देखा जो ऑक्सफोर्ड ऑफ दी इयर कहलाये। उस समय प्राइवेट यूनिवर्सिटी बनाने की इजाजत नहीं मिलती थी इस लिए उन्होंने 9 फरवरी 1873 को एक कमेटी बनाई जिसने 1975 में एक मदरसा बनाने का ऐलान किया 2 वर्ष बाद मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज शुरू हुआ।

यूनिवर्सिटी की स्थापना का सफर इतना आसान नहीं था। सर सैयद को इसके लिए धनराशि जुटानी थी जिसके लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी के लिए चंदा मांगा, नाटक में काम किया तथा भीख तक मांगी। एक बार 1 व्यक्ति ने चंदा मांगने पर उनपर जूता फेक दिया जिस पर सर सैयद ने उस जूते को ही दान पात्र में चंदा समझ कर रख लिया और आगे बढ़ गए।

एक बार अलीगढ़ में चंदे के पैसे के लिए उन्होंने लैला मजनू का नाटक रखवाया। जब ऐन वक्त पर लैला बनने वाले लड़के की तबियत खराब हो गई तो सर सैयद खुद ही अपने पैरों मे धुंधरू बांध कर लैला बन मंच पर आ गए और नाचने भी लगे।

यूनिवर्सिटी के लिए चंदा मांगने के लिए वे तवायफों के कोठे तक भी पहुंच गये। हालांकि इस बात पर उनका काफी विरोध हुआ तो उन्होंने यह कह कर मामला शांत किया कि इस पैसे से केवल शौचालय बनेंगे। उन्होंने 25 रुपए से लेकर 500 रुपए तक का चंदा भी लिया और पाई पाई जोड़ कर आखिरकार 1920 में यूनिवर्सिटी खड़ी कर दी।

यूनिवर्सिटी की पहली चांसलर बेगम सुल्ताना थीं जबकि उस समय के लिहाज से किसी महिला का यूनिवर्सिटी का चांसलर होना बड़ी बात थी। शुरुआत में AMU में 15 विभाग थे जो आज बढ़कर 108 हो गए हैं और स्टूडेंट्स 700 से ज्यादा कोर्सेज में पढ़ाई कर सकते हैं।

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