उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाले अभिमन्यु ईश्वरन इंग्लैंड टीम जाने वाली भारतीय टीम में चयन

खेल संवाददाता विपिन कुमार की रिपोर्ट

अभिमन्यु के पिता आरपी ईश्वरन जाने-माने सीए हैं। उन्होंने कई साल पहले पुरकुल गांव में अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी की स्थापना की, जहां अभिमन्यु ने भी क्रिकेट का क ख ग सीखा। बाद में उन्होंने दिल्ली और फिर बंगाल का रुख किया। उन्होंने बंगाल टीम के कप्तान के तौर पर भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।

देहरादून के अभिमन्यु ईश्वरन इंग्लैंड दौरे के लिए दून में खुद को तैयार कर रहे हैं। इंग्लैंड दौरे के लिए विराट कोहली की अगुवाई में चुनी गई भारतीय टीम में अभिमन्यु को बतौर स्टैंड बाय ओपनर शामिल किया गया है। वे इस मौके को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

बंगाल रणजी टीम के कप्तान के तौर पर शानदार प्रदर्शन के चलते अभिमन्यु लंबे समय से चयनकर्ताओं की नजर में हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें अब तक जौहर दिखाने का मौका नहीं मिला है। पिछले दौरे पर भी उन्हें स्टैंड बाय के तौर पर शामिल किया गया था।

इंग्लैंड की उछाल भरी और मूवमेंट वाली पिचों पर अभिमन्यु को डेब्यू करने का मौका मिल सकता है। लॉकडाउन के कारण क्रिकेट गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं। इसलिए दौरे से पहले खुद को तैयार करने के लिए वे अपने घर दून पहुंचे हैं। पुरकुल स्थित अपनी एकेडमी में वे कोच अपूर्व देसाई, मनोज रावत और सुशील जावले की देखरेख में तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के साथ उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने, अंतरराष्ट्रीय मैचों के दबाव को महसूस करने और मैच की रणनीति को समझने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैं इसे भारतीय टीम में एंट्री से पहले खुद को मजबूत और तैयार करने के मौके के रूप में देख रहा हूं। वैसे भी हमें हर मौके के लिए तैयार रहना चाहिए।

इंग्लैंड जैसी कंडिशन, विकेट पर तैयारी

अभिमन्यु दून में इंग्लैंड जैसे मौसम, क्रिकेटिंग कंडिशन और विकेट पर तैयारी कर रहे हैं। इसलिए वे दिन के अलग-अलग समय प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने दून में इंग्लैंड जैसे तेज और घास वाले विकेट तैयार करवाए हैं। उछाल लेती और स्विंग गेंदबाजी से निपटने के लिए भी वे खुद को तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा समय के अनुसार इनडोर और आउटडोर प्रैक्टिस भी कर रहे हैं.

 

बिल्कुल अलग है इंग्लैंड की परिस्थितियां

उन्होंने कहा कि इंग्लैंड की परिस्थितियां पूरी तरह अलग हैं। कोरोना के कारण रूटीन पर काफी असर पड़ा है। इस साल व्हाइट बॉल क्रिकेट ही ज्यादा हुई है। रेड बॉल क्रिकेट उससे काफी अलग है। वैसे भी असली इम्तिहान मैदान पर ही होता है।

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