कोरोना काल में अन्य रोगी उपचार न होने का दंश झेलने को मजबूर हैं मसूरी वासी ।

मसूरी से सतीश कुमार की रिपोर्ट

कोरोना काल में अन्य रोगी उपचार न होने का दंश झेलने को मजबूर हैं मसूरी वासी ।

रिपोर्टर,,, सतीश कुमार मसूरी ।

मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में उप जिलाचिकित्सालय बनने के बाद भी स्थानीय लोगों को इसका लाभ नही मिल पा रहा है क्योंकि यहां पर विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं जिस कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आज भी लोगों को मामूली रोगों के उपचार के लिए देहरादून या अन्य बड़ेे शहरों का रूख करना पड़ रहा है, लेकिन गरीब लोग तो बिना इलाज के ही रोगो से जूझना पड़ रहा है।
लंबे संघर्ष के बाद लंढौर सिविल अस्पताल जो बाद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना था उसे राजकीय सेंटमेरी अस्पताल के साथ जोड़ कर उप जिला चिकित्सालय बनाया गया जिसके लिए नया भवन भी बना। लेकिन नये भवन बनने के बाद भी यहां पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति न होने से इस अस्पताल का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। वहीं जो चिकित्सक नियुक्त हैं वह भी सामान्य रोगियों को नहीं देख रहे क्यो कि अस्पताल को कोरोना अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है ऐसे में अन्य रोगों से पीड़ित शहर के लोग अपना उपचार कहां करवायें। इस संबंध में पूर्व पालिकाध्यक्ष व प्रदेश महामंत्री कांग्रेस मन मोहन सिंह मल्ल का कहना है कि बड़े दुःख की बात है कि जहां एक ओर पूरा विश्व, देश व राज्य कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है वहीं मसूरी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। मसूरी जैसे छोटे शहर में बड़ी संख्या में मौतें हो रही है व जिसमें युवा अधिक हैं उसके बाद भी कोरोना अस्पताल में पूरी सुविधाएं नही हैं। वहीं उन्हांेने कहा कि कोरोना के अलावा जो लोग अन्य रोगों से जूझ रहे हैं और कोरोना काल में देहरादून नहीं जा सकते वह किस तरह स्वास्थ्य लाभ लें। इससे तो ऐसा लगता है कि सरकार ने लोगों को मरने के लिए छोड दिया है। उन्होंने कहा कि मसूरी में किसी भी रोग का विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है न आंख न ईएनटी, न फिजिशियन न गायनोलाजिस्ट ऐसे में लोग किस तरह अपना उपचार करायें जबकि मसूरी के इस अस्पताल पर पूरे जौनपुर की जनता भी निर्भर है। उन्होंने कहा कि जब उप जिला चिकित्सालय को कोविड अस्पताल बना दिया तो अन्य रोगों के उपचार के लिए पुराने राजकीय सेंटमेरी अस्पताल के आउट डोर को क्यों नहीं खोलते ताकि कम से कम लोग यहां पर अपना प्राथमिक उपचार तो करवा सकें। इस संबंध में उप जिलाचिकित्सालय के सीएमएस डा.यतेंद्र सिह ने बताया कि अस्पताल में वर्तमान में 29 चिकित्सकों में से 21 चिकित्सक तैनात है लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक कोई नहीं है केवल हडडी रोग का है व ईएनटी सर्जन को देहरादून अटैच किया हुआ है। यहां पर फिजिशियन, गाइनो, आंख, सर्जरी, आक्थर्मो, नेत्र अनेस्थेटिक, सर्जरी कोई नहीं है वहीं जो मंत्री गणेश जोशी ने नये चिकित्सक भेजे उनमें से चार ही आये हैं उनमें गायनों व एनेस्थेटिक नहीं आया। वहीं जिन 21 चिकित्सकों की तैनाती की गई है उसमें से चार देहरादून अटैच है वही ंचार बीमार पड़ गये हैं, बाकी में से घंटाघर पर पालिका की डिस्पेंसरी मंे ओपीडी, कोविड सेंटर व टीकाकरण व कोरोना टेस्ट में लगाये गये हैं। उन्होंने बताया कि लंढौर कम्युनिटी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को सुविधा प्रदान करने के लिए डा. शबाना तो तैनात किया गया था लेकिन वह कोरोना पाॅजीटिव आ गई जिसके कारण परेशानी बढ गई है।

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