सरकारी दफ्तरों को 15 दिन के लिए पूर्ण रूप से बंद करने की मांग सरकार ने ठुकरा दी। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने कहा कि कर्मचारी यह मांग कर रहे हैं, पर यह मुमकिन नहीं है। मुख्य सचिव ने कहा कि कोरोना को देखते हुए सरकारी दफ्तरों के लिए कुछ मानक तय किए हैं। चूंकि सरकारी काम निरंतर चलता रहता है, ऐसे में दफ्तरों को पूरी तरह बंद करने की मांग पूरी नहीं की जा सकती। मालूम हो कि कर्मचारी संगठन सरकारी दफ्तर 15 दिन बंद करने की मांग कर रहे हैं। इससे पूर्व उत्तराखंड सचिवालय समीक्षा अधिकारी संघ ने मुख्य सचिव से मुलाकात कर कर्मचारियों की दफ्तरों में उपस्थिति सिर्फ 35 फीसदी करने की मांग की है।
संघ अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि मौजूदा समय में सचिवालय में कई अफसर व कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं। सरकारी कार्यालय खोले जाने से लॉकडाउन पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य हिमाचल में में संपूर्ण लॉकडाउन है। उन्होंने प्रदेश में 21 दिनों के लॉकडाउन घोषित करने की मांग की। यदि यह किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है तो फिर दफ्तरों के समय सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक कर्मचारियों की उपस्थिति फिलहाल 35 फीसदी तक ही की जाए।
इस बीच, उत्तरांचल(पर्वतीय) कर्मचारी शिक्षक संगठन में सीएम को ज्ञापन भेज राज्य में तीन हफ्ते का संपूर्ण लॉकडाउन की मांग की। प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार व कार्यकारी अध्यक्ष सुनील कोठारी ने कहा कि राज्य में संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। तमाम कर्मचारी संक्रमण से जान गंवा चुके हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं पुख्ता करने के साथ, सभी दफ्तरों को पूरी तरह बंद किया जाए। साथ ही आवश्यक सेवा के विभागों के कर्मियों का 50 लाख रुपये का बीमा कराया जाए।
रैपिट एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ेगी
स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज पांडे ने कहा कि संक्रमण की पहचान के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। इसके साथ रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या को भी बढ़ाने का निर्णय किया गया है। इससे लक्षण वाले लोगों को 15 मिनट में ही रिपोर्ट मिल जाएगी।
तनख्वाह के लिए पर्याप्त बजट
कोरोना की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित तो हुई हैं लेकिन कार्मिकों के वेतन के लिए राज्य के पास फिलहाल पर्याप्त धन है। वित्त सचिव अमित नेगी ने कहा कि फिलहाल सरकार को कर्ज लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। कोरोना की वजह से राजस्व पर पड़े असर का भी आगे आकलन कराया जाएगा।