2016 अर्ध कुंभ में अपने परिवार से बिछड़ी हुई महिला, कुंभ मेला 2021 में अपने परिवार से वापस मिली

कुदरत कब किसको किसी से  बिछड़वा दे. और कब  वर्षों से बिछड़े हुए को दोबारा से अपने परिवार से मिलवा दे. कुदरत के खेल निराले होते हैं. ऐसा ही एक किस्सा 2016 में  अर्ध कुंभ में बिछड़ी भी बुजुर्ग महिला के साथ हुआ. 2016 में  कुंभ में बिछड़ी महिला 2021 में  कुंभ मेला में अपने परिवार से मिली. कुंभ मेला पुलिस सुरक्षा के मध्य नजर संदिग्ध व्यक्तियों के सत्यापन की कार्यवाही कर रही है। इसी दौरान ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर पुलिस ने गंगा घाट पर रहने वाली महिला और पुरुषों का जब सत्यापन किया गया तो त्रिवेणी घाट पर एक बुजुर्ग महिला मिली, जो कुछ भी बता नहीं रही थी।

पुलिस ने महिला की आईडी देखने के बाद थाना सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश पुलिस से संपर्क किया और महिला के बारे में जानकारी मांगी। इस पर थाना पुलिस ने महिला से प्राप्त आईडी और दर्ज पते पर परिजनों से संपर्क किया तो परिजनों ने उपरोक्त महिला को पहचान लिया और पुलिस को बताया कि उपरोक्त महिला का नाम कृष्णा देवी पत्नी ज्वाला प्रसाद पाया गया ।

बुजुर्ग महिला अयोध्या, मथुरा, वृंदावन, गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा करने के बाद अर्ध कुंभ 2016 में हरिद्वार पहुंची थी। लेकिन वापस गांव नहीं  पहुंची. तो परिजनों ने बुजुर्ग महिला की वापसी का काफी इंतजार किया. आखिर में परिजनों ने निराश होकर  समाचार पत्रों और टीवी पर महिला की गुमशुदगी का प्रचार करवाया। इसके साथ ही परिजनों ने थाना जोगिया उदयपुर जिला सिद्धार्थनगर में कृष्णा देवी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस की ओर से काफी खोजबीन करने के बाद भी जब महिला की जानकारी नहीं मिल पाई तो परिजनों ने थक हार कर उपरोक्त महिला को मृत मान लिया।

कितने वर्षों बाद अब जैसे ही परिजनों की सूचना मिली कि कृष्णा देवी त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में हैं. तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपनी माता कृष्णा देवी को लेने उनका बेटा दिनेश्वर पाठक पति ज्वाला प्रसाद पुत्री उमा उपाध्याय ऋषिकेश पहुंची. और उन्होंने ऋषिकेश पुलिस से संपर्क कर अपनी माता को सकुशल देख खुशी के आंसू छलक पड़े। महिला की बेटी अपनी मां के गले से लग कर रोने लगी। बुजुर्ग महिला के परिजनों ने ऋषिकेश पुलिस की कार्यशैली की काफी सराहना की है। पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद उपरोक्त महिला को परिजनों को सौंप दिया गया। इसीलिए कहा जाता है कुदरत के खेल निराले होते हैं कब कौन कहां बिछड़ जाए. और कब कुदरत उसको वापस अपनों से मिलवा दें

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