एक दिवसीय अल्मोड़ा दौरो पर पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नागरिकता संशोधन कानून के बहाने कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि शरणार्थी को शरण देना भारत की संस्कृति व परंपरा रही है। भारत का राजवंश व लोकतांत्रिक इतिहास बताता है कि शरणागत को आश्रय देने की परंपरा बहुत पुरानी है। देश विभाजन के तत्काल बाद ही नागरिकता कानून की जरूरत थी। मगर तब के सत्ताधारी ठोस निर्णय लेने का साहस व कदम उठा ही नहीं सके। तल्ख टिप्पणी की कि कांग्रेस ने कभी देश की आजादी का प्रस्ताव ही पारित नहीं किया। वंदेमातरम् गीत पर भी हमेशा आपत्ति रही। सीएम यही नहीं रुके। बोले, कांग्रेस आज भी अंग्रेजों की बांटो व राज करो की नीति पर चल रही। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में 200 शरणार्थी होने की सूची मिली है, जिन्हें नागरिकता कानून के दायरे में लाया जाएगा।
सीएम त्रिवेंद्र शुक्रवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से रूबरू हुए। सीएम ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने वाला है। किसी को भी दी जा सकती है। उत्तराखंड में पता लगा है कि 200 शरणार्थी हैं। इनकों जल्द ही सीएए के दायरे में लाकर नागरिकता दी जाएगी।विपक्ष पूछ रहा कि मुसलमानों की बात क्यों नहीं होती। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान मुस्लिम देश हैं। वहां अल्पसंख्यक प्रताडि़त हो रहे। देश विभाजन के वक्त पाकिस्तान में 23 फीसद से ज्यादा हिंदू थे। आज 2.7 प्रतिशत रह गए। तब भारत में चार करोड़ मुस्लिम थे। अब 20 करोड़ हो गए हैं। साफ है कि पाकिस्तान में हिंदू घटा। वह धर्मांतरित किए गए, या बलात शादी विवाह कर उन्हें मुस्लिम बना दिया गया। भारत ही एक ऐसा देश है जो शरण देता है।