सरकार के श्राइन बोर्ड गठन के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर में तीर्थ पुराहितों का विरोध जारी है। चारधाम सहित अन्य क्षेत्रों में भी तीर्थ पुराहितों और हक हकूकधारियों ने धरना-प्रदर्शन व कैंडल मार्च निकालकर सरकार का विरोध किया। वहीं, देहरादून और हरिद्वार में तीर्थ पुरोहितों की बैठकों का दौर जारी रहा।
देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी घेर लिया है। केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए प्रदेश के 1000 तीर्थ पुरोहित झारखंड जाएंगे। तीर्थ पुरोहितों ने एलान किया है कि झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनाव के आगामी चरणों में वहां जाकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रचार किया जाएगा।
इससे पहले तीर्थ पुराहितों का चार दिसंबर को विधानसभा कूच तय है, जिसे अन्य संस्था व समितियों से सहयोग मिल रहा है। हरिद्वार के गंगा महासभा के तीर्थ पुराहितों ने समर्थन देते हुए विधानसभा कूच में शामिल होने की घोषणा की है।
महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने बताया कि सरकार का रवैया तीर्थ पुराहितों के प्रति उपेक्षा पूर्ण है। 27 नवंबर से अभी तक कैबिनेट के निर्णय का विरोध कर रहे तीर्थ पुराहितों से सरकार ने वार्ता का प्रयास भी नहीं किया। चेतावनी दी कि यदि सरकार श्राइन बोर्ड गठन के निर्णय पर अड़ी रही तो तीर्थ पुरोहित बड़े स्तर पर आंदोलन को बाध्य होंगे।
महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने बताया कि इस माह के दूसरे सप्ताह में तीर्थ पुराहितों की प्रदेश इकाइयां अपने-अपने क्षेत्रों में धरना-प्रदर्शन करेंगी। उन्होंने कहा कि काबीना मंत्री मदन कौशिक से मुलाकात करने के बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आए। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि महापंचायत ने निर्णय लिया है कि चारों धामों में कोर कमेटियों का गठन किया जाएगा। जो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कैबिनेट के निर्णय को वापस लेने का दबाव बनाएंगी।
यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है और भाजपा मंदिरों का व्यवसायीकरण करना चाहती है, जो किसी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। इसी उद्देश्य से झारखंड में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही उत्तराखंड में भी जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
अखिल भारतीय महासभा ने दिया समर्थन
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने भी श्राइन बोर्ड गठन के फैसले की खिलाफत करते हुए देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत को समर्थन दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर निर्णय वापस लेने की मांग की है।
महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि सरकार उत्तराखंड के चारों धामों और 51 मंदिरों का पौराणिक मान्यताओं के विपरीत अधिग्रहण का प्रयास कर रही है। बताया कि महासभा देश के समस्त तीर्थ पुरोहितों का प्रतिनिधित्व करती है और इस विधेयक का पुरजोर विरोध करती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि तीर्थों की मर्यादा बचाने
श्राइन बोर्ड से ज्यादा सुरक्षित होंगे हक-हकूक: सीएम
जिला पंचायत सदस्यों के शपथ कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि श्राइन बोर्ड पर तीर्थ पुरोहितों का विरोध स्वाभाविक है। साथ ही तीर्थ पुरोहितों को यह समझना होगा कि श्राइन बोर्ड के गठन से उनके अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि हक- हकूक और सुरक्षित हो जाएंगे। साथ ही चार धाम और अन्य मंदिरों के विकास के कार्य भी आसानी से किए जा सकेंगे
उन्होंने कहा कि पंडा समाज और मंदिरों के पुजारी पूजा-अर्चना के साथ मंदिर और श्रद्धालुओं की सेवा भी करते हैं। उनकी मंदिरों में अहम भूमिका है। जिस रफ्तार से पर्यटन बढ़ रहा है, आने वाले समय में इसके लिए बेहतर प्रबंधन की जरूरत है। इससे श्रद्धालुओं की सुविधाएं भी बढ़ेंगी। कहा कि इसके बाद भी तीर्थ पुरोहितों को जो भी संशय है, उसे सरकार तक पहुंचाएं। उसे दूर किया जाएगा।